बंगाल की राजनीति में हावी हैं ये मुद्दे, ममता ‘दीदी’ का बेड़ा कैसे होगा पार?
Lok Sabha Election 2024: ममता बनर्जी के आंदोलन के कारण सिंगुर टाटा नैनो फैक्ट्री कभी अस्तित्व में नहीं आया. इसी का विरोध करके ‘दीदी’ ने बंगाल की सत्ता हासिल की थी. हालांकि, यह साइट अब खाली है. इसी सिंगुर से सटा है पश्चिम बंगाल का हुगली, पश्चिम मेदिनीपुर और बांकुरा जिला. इन जिलों में लोकसभा चुनाव के दौरान बेरोजगारी का मुद्दा हावी है. इसी वजह से इस बार ममता बनर्जी के 13 साल के शासन बनाम नरेंद्र मोदी के 10 साल के शासन के बीच दिलचस्प लड़ाई है.
‘लक्ष्मी भंडार’ योजना से ममता को फायदा
हालांकि, कुछ सकारात्मक बातें भी हैं. ममता दीदी ने ‘लक्ष्मी भंडार’ योजना के जरिए राज्य में महिलाओं के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता पाई है. इस योजना के तहत 25 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को 1,000 से 1,200 रुपये दिया जाता है. ममता और इस योजना को लेकर मेदिनीपुर की महिला रूपसा कहती हैं, “पहले, महिलाओं को अपने पतियों से पैसे मांगने पड़ते थे, अब वे इसे अपनी इच्छानुसार खर्च कर सकती हैं.”
शिक्षक भर्ती घोटाले का मुद्दा
वैसे तो बंगाल सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप भी खूब लगा है. लेकिन दीदी ने इसे केंद्र का जादू-टोना करार दे दिया. हाल ही में 25000 शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा घोटाला सामने आया था. इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने उन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को राहत दी, जिनकी नियुक्तियां अप्रैल में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश द्वारा रद्द कर दी गई थीं. अब बंगाल में यह भी चर्चा है कि पहले से ही रोजगार के अवसरों की कमी को देखते हुए इस तरह के घोटाले चिंताजनक हैं.
बीजेपी को हो सकता है फायदा
राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिक्षक भर्ती घोटाला मामले ने टीएमसी के ऊपर गहरा दाग छोड़ दिया है. इस बीच बंगाल में बीजेपी युवाओं के आकांक्षाओं की बढ़ती खाई को भरने की कोशिश कर रही है. बंगाल के लोगों को बीजेपी लगातार समझा रही है कि आपके पास पहले 30 साल से अधिक समय तक वामपंथ का शासन था. इसके बाद टीएमसी राज्य की सत्ता में आई. लेकिन वो भी कमाल नहीं कर पाई.
जरा याद करिए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन से टीएमसी हिल गई थी. राज्य में बीजेपी ने 18 सीटें अपने नाम किए. कभी राज्य में अस्तित्वहीन रहने वाली बीजेपी के लिए यह बड़ी जीत थी. अगर इस बार के चुनाव में भाजपा मौजूदा लोकसभा चुनावों में कुछ और सीटें हासिल कर लेती है, तो 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले गति उसकी और बढ़ सकती है.
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प्रशांत किशोर ने बढ़ाई ‘दीदी’ की टेंशन
हालांकि, ‘दीदी’ हमेशा ज़मीन पर कान रखती हैं, दांव को समझती हैं. इस बार भी उसी रफ्तार में बैटिंग कर रही हैं. लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ममता की टेंशन बढ़ा दी है. उधर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि इस बार के चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल के साथ ही ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पहले से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना है.