Lok Sabha Election: भाजपा में शामिल होंगे गौरव वल्लभ, सुंधाशु त्रिवेदी बोले- कांग्रेस को उठाना पड़ेगा खामियाजा
Lok Sabha Election: 18वीं लोकसभा के चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होंगे. इससे पहले नेताओं के दल-बदल का दौर जारी है. कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. जानकारी के मुताबिक, अब वह भाजपा में शामिल होंगे. वहीं, गौरव वल्लभ के कांग्रेस से इस्तीफे पर भाजपा का रिएक्शन भी सामने आया है.
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि गौरव वल्लभ ने सनातन के अपमान का जिक्र करते हुए इस्तीफा दिया है. ऐसे ही रहा तो कांग्रेस को आगे भी खामियाजा उठाना पड़ेगा. भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए त्रिवेदी ने कहा, ”गौरव वल्लभ ने इससे पहले 2014 के चुनाव के बाद बनी एंटनी कमेटी को लेकर कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती है. इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ता है.”
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— Vistaar News (@VistaarNews) April 4, 2024
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‘मैं सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता’
गौरव वल्लभ ने गुरुवार को कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा- “कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.”
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
कौन हैं गौरव वल्लभ?
साल 1977 में जन्मे गौरव वल्लभ मूल रूप से राजस्थान के जोधपुर जिले के पीपाड़ गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बांगड़ कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है. गौरव की प्रतिभा कॉलेज के दौरान ही दिखने लगी. कॉलेज की शिक्षा में वो गोल्ड मेडलिस्ट रहे. इसके अलावा वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताओं में भी गौरव को कोई पछाड़ नहीं पाता था. जमशेदपुर के एक्सएलआरआई कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके गौरव की गजब की तर्कशक्ति और लोकप्रियता के चलते बिना राजनैतिक बैकग्राउंड के ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी थी.