’15 हजार रुपये देकर वोट खरीद रही है बीजेपी’, बंगाल की CM ममता बनर्जी का बड़ा आरोप

Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य वोट खरीदने के लिए लोगों को पैसे दे रहे हैं.
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पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी

Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य वोट खरीदने के लिए लोगों को पैसे दे रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार मिताली बाग के समर्थन में आरामबाग में एक चुनावी रैली में बोलते हुए, ममता ने कहा कि भगवा पार्टी लोगों को वोट खरीदने के लिए 5 हजार से 15 हजार रुपये दे रही है.

सीएम ममता बनर्जी ने आगे कहा, “भाजपा नेता असामाजिक हैं. यदि आप आतंक का शासन नहीं चाहते हैं, तो भाजपा को वोट देने से बचें.” उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा लोकसभा चुनाव दिल्ली में सत्ता समीकरण बदलने के लिए हैं. उन्होंने कहा, “दिल्ली में इस सत्ता समीकरण को बदलना होगा और बदलाव लाना होगा.”

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बीजेपी को बंगाल के लोगों को बदनाम करने की आदत

भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि भगवा पार्टी को बंगाल के लोगों को “बदनाम” करने की आदत है. देखिए कैसे उन्होंने झूठे बलात्कार के आरोप लगाने के लिए पैसे देकर संदेशखाली की महिलाओं का अपमान किया है.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सुबह से लेकर रात तक झूठ का सहारा ले रहे हैं.

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने आगे कहा, “भाजपा सीएए और एनआरसी का इस्तेमाल कर लोगों को भगा देगी. अगर मोदी दोबारा सत्ता में आए तो अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और ओबीसी को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ेगा.”

केंद्र ने मार्च में लागू किया था सीएए

गौरतलब है कि इसी साल के मार्च में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीएए लागू किया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों – जो 31 दिसंबर से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करना आसान हो गया है. दिसंबर 2019 में संसद द्वारा कानून पारित करने के चार साल बाद अब इसे लागू किया गया है.

अधिनियम की अधिसूचना ने विपक्षी नेताओं की आलोचना शुरू कर दी, जिन्होंने दावा किया कि अधिसूचित नियम “असंवैधानिक”, “भेदभावपूर्ण” और संविधान में निहित “नागरिकता के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत” का उल्लंघन हैं.

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