Lok Sabha Election: बिलासपुर के गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे लोगों ने चुनाव का किया बहिष्कार, बोले- पानी नहीं तो वोट नहीं
Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मुंगेली और पथरिया बेल्ट से जुड़े 40 गांव के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे हैं. गांव में यह समस्या 100 सालों से बनी है. इसके कारण किसी ग्रामीण के पेट में दर्द हो रहा है, तो किसी ग्रामीण के पेट में गैस बन रहा है. वे यहां तक बताते हैं कि इसके कारण हार्ट अटैक से उनके गांव में 10 लोगों की मौत भी हो चुकी है. यही वजह है कि वह इस बार लोकसभा चुनाव से पहले मीठे पानी की मांग कर रहे हैं, और ऐसा नहीं करने पर वे लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात भी कह रहे हैं.
गांव के लोग कई सालों से पी रहे फ्लोराइड युक्त पानी
जिन गांवों में यह समस्या है उनमें हथकेरा, कचर बॉड, बिडबिडा, सांवा सहित अन्य गांव शामिल है. विस्तार न्यूज़ ने इन्हीं गांवों में पहुंचकर लोगों का दर्द जाना. उन्होंने बताया कि उनके गांव की जमीन से फ्लोराइड युक्त पानी काफी सालों से निकल रहा है. इसके कारण ना तो उनके यहां बनने वाले दाल में टेस्ट होता है, और नहीं सब्जियां ठीक तरह से बन पाती है. क्योंकि उन्हें इस पानी को पीने की आदत हो गई है, इसलिए वह सालों से इसे पी रहे हैं. लेकिन कोई मेहमान आता है तो उसे बड़ी समस्या झेलनी पड़ती है.
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20 से 30 किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है पानी
पानी का यह सफर ऐसा है कि उन्हें मीठे पानी के लिए 20 से 30 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ता है. सुबह उठकर वे साइकिल और गाड़ियों में गैलन लेकर निकलते हैं. उसके बाद उनका यह संघर्ष खत्म होता है, लेकिन यह रोज की समस्या है इसलिए वे पिछले 40 से 50 साल से परेशान हो रहे हैं.
गांव में नहीं आना चाहता कोई मेहमान
इन गांव का अभिशाप है कि यहां मेहमान बतौर कोई आना नहीं चाहता है, क्योंकि यहां के पानी में समस्या है और जो भी मेहमान आता है वह पेट की बीमारी लेकर जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि कई और संस्थाओं को अपनी समस्या बताई है लेकिन अभी तक सब कुछ यथावत है.
ग्रामीण बोले- लोकसभा चुनाव में नहीं करेंगे वोट
गांव के लोगों का कहना है कि जब तक सरकार इस पर ध्यान नहीं देगी वह अपनी समस्या बताते रहेंगे. उन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव में वोट नहीं करने के बाद भी कही है. गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि जब तक यह समस्या दूर नहीं होगी वह वोट डालने नहीं जाएंगे. इससे पहले भी इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था लेकिन उनकी पीड़ा का अंत अभी तक नहीं हुआ है.