Gwalior: 1000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी स्मार्ट सिटी के काम अधूरे, नगर निगम के प्रोजेक्ट में खपा दिए पैसे

Gwalior News: अमृत प्रोजेक्ट पर पूरी तरह से निगम को काम करना था. लेकिन स्मार्ट सिटी ने इसमें भी 25 करोड़ की राशि खर्च कर दी. इसके बावजूद हर घर में पानी पहुंचना तो दूर कई गड्ढे भी नहीं भरे
1 thousand crore rupees spent on Gwalior Smart City but the work is still incomplete

ग्वालियर स्मार्ट सिटी पर 1 हजार करोड़ रुपये खर्च फिर भी काम अधूरे

Gwalior News: मध्य प्रदेश का चौथा सबसे बड़ा शहर ग्वालियर है. शहर को ऐतिहासिक इमारतों और समृद्ध इतिहास के जाना जाता है. इसके साथ ही शहर को स्मार्ट बनाने की कवायद की जा रही है. स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. लेकिन न तो शहर स्मार्ट बन पाया और न ही शहर की तस्वीर बदल पाई है.

‘700 करोड़ रुपये के कार्य अब भी अधूरे’

10 साल पहले स्मार्ट सिटी मिशन के द्वारा शहर को स्मार्ट और विकसित करने के लिए शामिल किया गया. स्मार्ट सिटी मिशन का मकसद था शहर में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सुविधाएं विकसित करना. पिछले 10 सालों में स्मार्ट सिटी कंपनी ने इस मकसद के लिए मिले 1000 करोड रुपये में से 941 करोड रुपये खर्च किए. लेकिन कुछ भी स्मार्ट नहीं हुआ. सबसे हैरत की बात यह है कि स्मार्ट सिटी कंपनी ने 274 करोड़ उन कामों में खपा दिए जो स्मार्ट सिटी के थे ही नहीं. बाकी 700 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट अभी भी अधूरे पड़े. स्मार्ट सिटी का कार्यकाल मार्च के महीने में समाप्त होने जा रहा है. अब ऐसे में यह करोड़ों रुपये के अधूरे पड़े कार्य कैसे पूरे होंगे, इसका जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है.

अमृत योजना के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए

ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग ने सड़कों को संवारने में काफी पैसा खर्च किया. इन विभागों पर 274 करोड रुपये से ज्यादा की राशि अमृत प्रोजेक्ट फेस वन, स्वच्छता और ब्यूटीफिकेशन सहित अन्य कामों में खर्च हो गई. वहीं स्मार्ट सिटी ने एरिया वेस्ट डेवलपमेंट और पेन सिटी पर खुद 490 करोड़ पैसे ज्यादा की राशि के काम किया. वे वर्तमान में दम तोड़ रहे हैं. स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अफसरों ने शहर की जनता की सुविधा के लिए चली इंटरसिटी एक्स्ट्रा सिटी बस सेवा, पब्लिक बाइक, शेयरिंग स्मार्ट पार्किंग पर खुद की पीठ थपथपाई लेकिन उन्हें अफसर की अनदेखी के कारण यह सब प्रोजेक्ट बंद हो गए. इसको लेकर बीजेपी के पूर्व सांसद भी लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि स्मार्ट सिटी में सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है.

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स्मार्ट सिटी का पैसा नगर निगम पर खर्च किया गया

सबसे हैरत की बात तो यह है कि स्मार्ट सिटी को अपने प्रोजेक्ट में जो पैसा खर्च करना था वह नगर निगम के कामों में करोड़ों पर खर्च कर दिए. निगम के लिए स्वच्छता पर लगभग 34.58 करोड रुपए खर्च दिए. इसके अलावा निगम की सड़कों और उन्हें सुंदर बनाने, चौपाटी, एलईडी मेंटेनेंस सहित अमृत प्रोजेक्ट सहित 197 करोड़ रुपए खर्च किए. यह निगम के ऐसे काम हैं जिनका स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से सीधे कोई लेना देना नहीं था.

कांग्रेस लगा रही भ्रष्टाचार के आरोप

अमृत प्रोजेक्ट पर पूरी तरह से निगम को काम करना था. लेकिन स्मार्ट सिटी ने इसमें भी 25 करोड़ की राशि खर्च कर दी. इसके बावजूद हर घर में पानी पहुंचना तो दूर कई गड्ढे भी नहीं भरे. वहीं शहर में स्ट्रीट लाइट का काम भी निगम के हवाले रहता है लेकिन स्मार्ट सिटी ने इस पर 43 करोड रुपए खर्च कर दिए. स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस की सवाल खड़ी कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि स्मार्ट सिटी एक ऐसा भ्रष्टाचार का अड्डा है. जिसमें करोड़ों रुपये की राशि अधिकारियों ने बंदरबांट कर ली. जो पैसा शहर को स्मार्ट और विकास के नाम पर लगा था. वह महल के इर्द-गिर्द लगा दिया. इसलिए स्मार्ट सिटी के द्वारा हुए विकास कार्यों की जांच सीबीआई से करने की मांग लगातार उठ रही है.

ये काम अब भी अधूरे हैं

कटोरा ताल का जीर्णोद्वार और म्यूजिक फाउंटेन, ITMS, IT वर्क, SMCP, मल्टीलेवल अंडरग्राउंड पार्किंग सहित दो दर्जन से अधिक 475 करोड़ के ऐसे प्रोजेक्ट है जो अधूरे पड़े हैं. अब ऐसे में सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी का बढ़ा हुआ कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. जो अधूरे पड़े प्रोजेक्ट है वह कैसे पूरे होंगे.

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