एमपी में नहीं थम रहा कफ सिरप से मौतों का सिलसिला, 2 और बच्चों की मौत, अब तक 21 मासूमों की गई जान
कप सिरप
Cough Syrup Deaths: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मासूमों की मौत का आकंड़ा बढ़ता ही जा रहा है. जिले में अबतक 21 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं 5 बच्चें अभी भी नागपुर के अस्पताल में भर्ती है.
किडनी फेल होने से हो रही बच्चों की मौत
इन सभी बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होना ही बताई जा रही है. सुबह धानी डेहरिया की मौत की वजह भी किडनी फेल होना ही बताई गई थी. धानी के पिता ने कहा था कि बेटी की तबियत खराब होने के बाद उसे इलाज के लिए परासिया में स्थित डॉक्टर प्रवीण सोनी के यहां लेकर गए थे जहां डॉक्टर ने बेटी का इलाज किया था.पिता ने बताया कि डॉक्टर ने धानी को कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया था, जो अभी जांच के बाद बैन कर दिया गया है.
सरकार उठाएगी बच्चों के इलाज का खर्च
मध्य प्रदेश के 5 बच्चें नागपुर के अलग-अलग अस्पतालों मे इलाज के लिए भर्ती है. प्रदेश सरकार ने अस्पताल में भर्ती बच्चों के इलाज का जितना खर्च होगा उसको उठाने का निर्णय लिया है. अस्पताल में भर्ती बच्चों के परिजनों को सरकार एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि देगी. साथ ही सरकार ने तीन अधिकारी और कर्मचारियों की टीम बना कर नागपुर भेजा है. ये टीम नागपुर में रहकर बच्चों के इलाज के दौरान परिजनों की मदद करेगी और उन्हें किसी भी प्रकार की जरूरत होने पर उसे तत्काल सहायता प्रदान करेगी.
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सरकार ने किए दो और कफ सिरप बैन
मध्य प्रदेश सरकार ने ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप के बाद दो और कफ सिरप का बैन कर दिया है. सरकार ने अब रिलाइफ और रेस्पीफ्रेश टीआर कफ सिरप पर बैन लगा दिया है. इन दोनों ही दवाओं में तय मानक यानी 0.1 फीसदी से ज्यादा डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया है. बैन की गई दोनों ही दवाओं को गुजरात में तैयार किया गया है. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने गुजरात शासन को पत्र लिखकर जांच करने को कहा है. जानकारी के अनुसार कफ सिरप से मासूमों की मौत के बाद प्रदेश सरकार ने 19 दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे थे. इन 19 दवाओं में से ही है ये दो दवाएं हैं जिन्हें सरकार ने बैन किया है.