MP News: कूनो और पन्ना में चीतों-बाघों को कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम, आवारा कुत्तों का होगा टीकाकरण
स्ट्रीट डॉग्स
MP News: मध्य प्रदेश में चीतों और बाघों को खतरनाक कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के संक्रमण से बचाने के लिए कूनो नेशनल पार्क और पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर इलाके तथा आसपास के क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का व्यापक रूप से टीकाकरण अभियान शुरू किया जा रहा है. हाल ही में वन्य प्राणियों में इस वायरस के खतरे के संकेत मिलने के बाद वन विभाग ने यह कदम उठाया है. पिछले वर्ष भी ऐसे ही अभियान के तहत आवारा कुत्तों को टीके लगाए गए थे.
सीडीवी वायरस तंत्रिका तंत्र पर डालता है गंभीर असर
सीडीवी एक ऐसा वायरस है जो तेजी से फैलता है और संक्रमित वन्य प्राणी की जान तक ले सकता है. यह उनके श्वसन, पाचन और तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर डालता है. पहले लिए गए सैंपल में श्वानों में सीडीवी और रैबीज के लक्षण पाए जा चुके हैं, जिससे यह आशंका बढ़ी कि इनके संपर्क में आने वाले चीते और बाघ संक्रमित हो सकते हैं.
बीते वर्षों में कई वन्य प्राणियों में इस वायरस के मामले सामने आए थे. 2015 में पन्ना में मृत पाए गए बाघ के नमूनों में सीडीवी की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद करीब 1200 श्वानों का टीकाकरण किया गया था. वर्ष 2024 में छतरपुर में एक बाघ और एक तेंदुए में भी इसी वायरस के संकेत मिले थे, जबकि संजय टाइगर रिजर्व भेजे गए एक अन्य बाघ में रैबीज का संक्रमण पाया गया था.
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मांसाहारी जानवरों में इसके लक्षण गंभीर
मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुभरंजन सेन के अनुसार, श्वानों के टीकाकरण से पार्क क्षेत्र में वायरस फैलने का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकेगा. कैनाइन डिस्टेंपर वायरस मुख्य रूप से मांसाहारी जानवरों को प्रभावित करता है और यह हवा के माध्यम से या संक्रमित स्राव से फैलता है. हालांकि यह मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता, लेकिन कुत्तों, फेरेट्स, रैकून और लोमड़ी जैसे मांसाहारी जानवरों में इसके लक्षण बेहद गंभीर हो सकते हैं, जिनमें उल्टी-दस्त, खांसी, आंख-नाक से गाढ़ा स्राव और संतुलन बिगड़ना शामिल है. इस बीमारी को टीकाकरण के माध्यम से रोका जाएगा.