‘हमारे राम’ नाटक में आशुतोष राणा ने क्यों चुना रावण का किरदार? उन्हीं की जुबानी सुनिए

Ashutosh Rana: भोपाल के रवींद्र भवन में 20 और 21 सितंबर को 'हमारे राम' नाटक मंचन हुआ. इस नाटक में आशुतोष राणा ने रावण का किरदार निभाया. विस्तार न्यूज़ के ग्रुप एडिटर ब्रजेश राजपूत ने आशुतोष राणा से बातचीत की. अभिनेता ने अपने किरदार के साथ-साथ कई मुद्दों पर चर्चा की
Actor Ashutosh Rana played the role of Ravana in the play 'Humare Ram'.

'हमारे राम' नाटक में अभिनेता आशुतोष राणा ने निभाया रावण का किरदार

Ashutosh Rana: भोपाल के रवींद्र भवन में 20 और 21 सिंतबर को ‘हमारे राम’ नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक में रावण का किरदार बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आशुतोष राणा ने निभाया. उनके इस नाटक को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला. ‘हमारे राम’ नाटक को लेकर विस्तार न्यूज़ के ग्रुप एडिटर ब्रजेश राजपूत ने आशुतोष राणा से बातचीत की. अभिनेता ने अपने किरदार के साथ-साथ कई मुद्दों पर चर्चा की.

ब्रजेश राजपूत – आप कितने साल बाद थियेटर में वापस आए?

आशुतोष राणा – 24 साल बाद, साल 2000 के बाद 2024 में थियेटर किया.

ब्रजेश राजपूत – फिल्मों में आने के बाद थियेटर नहीं किया?

आशुतोष राणा – थियेटर किया, 1994 में NSD से पासआउट हुए थे. साल 2000 के बाद से थियेटर नहीं किया था.

ब्रजेश राजपूत – आपने जब स्क्रिप्ट देखी तो लगा कि ऐसा कुछ (रावण का किरदार) क्लिक होगा?

आशुतोष राणा – हमने इससे पहले ‘रामराज्य’ लिखी. अगर आप देखें कि हमें रावण करना था, लेकिन हमने सोचा कि इस करने से पहले मन समझना होगा. इस पूरे परिदृश्य की क्या स्थिति हैं? रामराज्य साल 2020 में प्रकाशित हुई. जब आपने तय कर लिया. जब आप विचारभूमि और भावभूमि में चले गए, तो रावण के किरदार के ऊपर राम है. परमात्मा राम ने पापात्मा रावण को मारा, जिसके बाद उन्होंने नरसिंह का रूप धारण किया.

ब्रजेश राजपूत – आपकी इच्छा राम करने की नहीं हुई?

आशुतोष राणा – रावण का किरदार करने की इच्छा इसलिए हुए क्योंकि इसके दोनों हाथ में लड्डू हैं. हम जिसको भजते हैं, उसकी गति को प्राप्त होते हैं. मित्र और भगवान के भाव से भज रहा है तो शिव का नाम भज रहा है. शत्रु के नाम से किरदार नारायण का नाम भज रहा है. मित्र फले तो कैलाश जाऊंगा और शत्रु फले तो बैकुंठ जाऊंगा. बहुत बुद्धिमान किरदार है.

ब्रजेश राजपूत – यदि आप राम का किरदार करते तो भी यही होता?

आशुतोष राणा – हमने ‘रामराज्य’ पुस्तक लिखी है. जब आप इसे पढ़ते हैं, यदि आप मर्यादापुरुषोत्तम राम की मोहब्बत में हैं तो आप उनके परम प्रेम में पड़ जाएंगे. हमने जितना एक्सप्लोर किया, उसके बाद हमारा मन हुआ कि एक ऐसा किरदार जिसके पास शस्त्र भी थे, शास्त्र भी थे, वेद भी थे, संगीत था और शिव भी थे. लेकिन ये सब एब्सोल्यूट पावर के बाद मिला. ये रावण की राममय होने की यात्रा है.

ब्रजेश राजपूत – नई पीढ़ी के लोग थियेटर देखने ज्यादा आ रहे हैं.

आशुतोष राणा – नई उम्र के लोगों को स्पष्ट दिशा-निर्देश और स्पष्ट विजन चाहिए कि जो हमारे हीरो हैं. वे कमजोर तो नहीं हैं. उन्हें वास्तविक स्वरूप देखने को मिल रहा है. उन्हें ग्रेस चाहिए. एप्रीसिएशन चाहिए, एक्नॉलेजमेंट चाहिए, एक्सेप्टेंस चाहिए. जो आप इस कहानी में देखते हैं. राम और रावण के बीच एप्रीसिएशन, एक्सेप्टेंस, एक्नॉलेजमेंट है. दोनों एक-दूसरे को एडमायर करते हैं.

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ब्रजेश राजपूत – बचपन में रामलीला करते थे तो उसमें कौन-सा किरदार निभाते थे?

आशुतोष राणा – रावण का किरदार निभाने की इच्छा थी लेकिन उम्र नहीं थी, क्योंकि बच्चे थे. रावण का किरदार निभान की अभी मेरी उम्र है. रावण की अनिष्ट से इष्ट की ओर यात्रा है. लोग इष्ट से अनिष्ट की ओर चले जाते हैं. रावण अनिष्ट से इष्ट की ओर चला गया. रावण ने शत्रु से मित्रवत परिणाम प्राप्त कर लिया. प्रतिकूल से अनुकूल स्थिति कैसे प्राप्त की जाती है…नई पीढ़ियां थियेटर में ये देखने आती है. अगर हमारे जीवन में नॉन फेबरेवल कंडीशन है तो उसे फेबरेवल कैसे कर सकते हैं?

ब्रजेश राजपूत – विदेश में कैसा रिस्पॉन्स रहा?

आशुतोष राणा – जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला. भोपाल के सभी चारों शो हाउसफुल रहे. मैंने थियेटर की टिकट ब्लैक होना हमारे शो में देखा. पहाड़ पर चढ़ने वाला कभी पीछे नहीं देखता है, क्योंकि उसे भय हो जाता है. इसलिए हमेशा आगे देखो.

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