अमेरिका से 14 साल बाद लौटे सत्येंद्र बने कांवड़िया, 21 किमी पैदल चलकर भोलेनाथ को अर्पित किया नर्मदा का जल
अमेरिका से लौटने के बाद कांवड़ यात्रा करते सत्येंद्र
MP News: श्रावण मास चल रहा है ऐसे हमें कांवड़ियों के विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं. इस बार खबर दमोह जिले से आयी है. दमोह जिले के नोहटा ग्राम में अमेरिका से लौटे एक युवक ने कांवड़ यात्रा पूरी की है.
अमेरिका से 14 साल बाद लौटे सत्येंद्र उठाई कांवड़
दमोह जिले के रहने वाले सत्येंद्र लोधी 14 साल बाद भारत से लौटने बाद भी अपनी संस्कृति से जुडे हुए हैं. सत्येंद्र लाेधी अपनी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका चले गए थे. 14 साल अमेरिका में रहने के बाद वतन वापस लौटे हैं, लेकिन अपनी संस्कृति से जुड़े रहे हैं.
सत्येंद्र ने इस सावन के महीने में 121 किलोमीटर कांवड़ यात्रा का संकल्प लिया. उन्होंने जबलपुर के तिलवारा घाट से जल लेकर 4 दिन में 121 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करते हुुए दमोह जागेश्वरनाथ धाम में अपनी यात्रा पूरी कर अपना संकल्प पूर्ण किया.
मन की बात में पीएम मोदी ने की थी सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में समाजसेवी सत्येंद्र द्वारा संचालित स्मार्टगाँव द डेवलपमेंट फाउंडेशन के माध्यम से बने “स्मार्ट गांव पड़रिया थोबन” की सराहना कर चुके हैं. सत्येंद्र दमोह जिले में ग्रामीण परिवेश के बच्चों को नवोदय विद्यालय हेतु परीक्षा की तैयारी करवाते हैं, जिसके लिए उनके द्वारा 40 सेंटरों पर निःशुल्क कोचिंग संचालित की जा रही हैं.
क्या है कांवड़ यात्रा?
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक पवित्र धार्मिक यात्रा है. यह यात्रा खासतौर पर श्रावण महीने (जुलाई-अगस्त) में शिव भक्तों द्वारा की जाती है. इसमें भक्त गंगा नदी से पवित्र जल (गंगाजल) भरकर उसे लकड़ी की कांवड़ में लेकर अपने नजदीकी शिव मंदिरों में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. इस यात्रा को करने वाले भक्तों को “कांवड़िया” कहा जाता है. अधिकतर कांवड़िए यह यात्रा पैदल करते हैं और पूरे रास्ते भगवान शिव का नाम लेते हैं. वे यात्रा के दौरान शुद्ध भोजन करते हैं, मांस, शराब या किसी भी तरह की बुराई से दूर रहते हैं.