MP: 55 साल बाद बचपन के स्कूल पहुंचे आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी, यहीं से सीखी थी निर्णय लेने की क्षमता
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी
Army Chief General Upendra Dwivedi (विकास पाण्डेय, सतना): भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का मध्य प्रदेश से गहरा नाता है. उन्होंने अपना बचपन प्रदेश में ही बिताया है. आज 55 साल बाद आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी सतना जिला स्थित अपने बचपन के स्कूल सरस्वती शिक्षा मंदिर हायर सेकेंडरी स्कूल, कृष्णनगर पहुंचे. यहां छात्रों, शिक्षकों और शहर के नागरिकों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. इस मौके पर आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सबको संबोधित भी किया और बताया कि यहां से ही उन्होंने निर्णय लेने की क्षमता सीखी थी.
आर्मी चीफ जनरल का स्वागत
जब आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी अपने बचपन के स्कूल पहुंचे तो वहां छात्रों, शिक्षकों और नागरिकों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. स्कूल के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने अपने पुराने दिनों को याद किया.
यहीं से सीखी निर्णय लेने की क्षमता
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने इसी विद्यालय में कक्षा चौथी तक शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने कहा कि निर्णय लेने की क्षमता उन्होंने यहीं से सीखी थी. उन्होंने यह भी जिक्र किया कि उनके अंदर जो वीरता और राष्ट्रप्रेम की भावना है, वह स्कूल की शिक्षा और परंपराओं के कारण है. उन्होंने छात्रों से कहा कि बचपन में जो कुछ भी सीखा जाता है, वह जीवन भर साथ रहता है.
‘देश सेवा केवल वर्दी पहनकर ही नहीं, बल्कि…’
संबोधन के दौरान थल सेना प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि देश सेवा केवल वर्दी पहनकर ही नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के रूप में भी देश निर्माण में लगातार काम करते रहने से होती है. उन्होंने देशवासियों से राष्ट्रप्रेम और देश निर्माण के लिए हमेशा कार्यरत रहने का आह्वान किया ताकि 2047 में विकसित भारत का सपना साकार हो सके.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का किया जिक्र
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक बहुत ही सफल और कामयाब ऑपरेशन बताया. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में तीनों सेनाओं के अलावा पूरा देश एकजुट हो गया था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका नाम पूरे देश को एक साथ जोड़ता है और यह भारत के पराक्रम का प्रतीक है.
जनरल द्विवेदी ने कहा- ‘हमने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी आम नागरिक, यहां तक की पाकिस्तान के नागरिक का भी नुकसान न हो और सिर्फ आतंकवादियों को व उनके आकाओं को खत्म किया गया.’ उन्होंने बताया कि इस सफलता का कारण यह है कि हमने सैद्धांतिक और तकनीकी (टेक्निकल) रूप को मिलाकर यह लड़ाई लड़ी थी.