होली पर मनाया जाने वाला भीलों का अनोखा त्योहार है ‘भगोरिया पर्व’, रंगों के साथ प्रणय उत्सव भी होता है

Bhagoriya Parv Mela: भील जनजाति के द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व के तीन भाग होते हैं. इसे पहला सजालिया जिसमें मेला स्थान लगता है जिसमें अलग-अलग स्थानों से लोग शामिल होते हैं
Bhagoria festival is celebrated by the Bhil tribe in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में भील जनजाति द्वारा मनाया जाता है भगोरिया पर्व

Bhagoriya Parv Mela: होली का त्योहार रंग, मिठाई और दोस्ती का त्योहार है. रंगों के इस त्योहार में लोग मिल-जुलकर खुशियां मनाते हैं. गुजिया की मिठास हो या ठंडाई की अद्भुत ताजगी सबकुछ अनोखा और अलबेला लगता है. हर चेहरे पर लगा गुलाल और अबीर अपनी ही कहानी कहता नजर आता है. परिवार हो या आस-पड़ोस अपने-अपने तरीके से होली खेलते हैं. कोई पानी में रंग मिलाकर पिचकारी से खेलते हैं तो कोई सूखे रंगों से.

भीलों का त्योहार है ‘भगोरिया पर्व’

पूरे देश में होली खेली जाती है. उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम हर दिशाओं में रंगों का उत्सव मनाया जाता है. मथुरा और वृंदावन में होली का त्योहार कई दिनों तक चलता है जिसमें लट्ठमार होली, फूलों से होली खेली जाती है. इसी तरह अलग-अलग समाज और जनजातीय वर्ग में मनाया जाता है. मध्य प्रदेश की भील जनजाति इसे ‘भगोरिया पर्व’ के रूप में मनाती है. ये पर्व एक स्थान पर इकट्ठा होकर रंगों के साथ मनाया जाता है. इसके साथ ही मेला लगता है, जिसमें भील जनजाति के लोग इकट्ठा होते हैं.

इस त्योहार के तीन भाग होते हैं

भील जनजाति के द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व के तीन भाग होते हैं. इसे पहला सजालिया जिसमें मेला स्थान लगता है जिसमें अलग-अलग स्थानों से लोग शामिल होते हैं. दूसरा गुलालिया, इसमें प्रणय पर्व मनाया जाता है, लोग ताड़ी पीते हैं, मेला खेलते हैं, रंगों से होली खेलते हैं. तीसरा और आखिरी भाग उजाड़िया होता है, इसमें मेला को हटाया जाता है. ये होली से सात दिन पहले शुरू हो जाता है.

‘भगोरिया पर्व’ में क्या क्या होता है?

जिस स्थान पर ये पर्व मनाया जाता है उसे भगोरिया हाट कहा जाता है. इस जगह मेला लगता है जहां झूला लगता है, बाजार सजाए जाते हैं. रंगों से खेला जाता है. मलखंभ का खेल खेला जाता है. गोल-गधेड़ो जैसा पारंपरिक नृत्य किया जाता है.

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क्या-क्या प्रथा निभाई जाती हैं?

एक प्रथा ये है कि कुंवारे युवक और युवती पारंपरिक कपड़े पहनकर आते हैं. युवक, युवती को तंबाकू देता है यदि युवती इसे स्वीकार कर लेती है तो माना जाता है कि वह विवाह के लिए तैयार है. वहीं दूसरी प्रथा ये है कि युवक, युवतियों को खुश करने के लिए मलखंभ भी करते हैं. जब शादी के लिए जोड़ा तैयार हो जाता है तो दोनों मिलकर पारंपरिक नृत्य करते हैं.

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