Bhopal: अब भोपाल मेट्रो 90 की स्पीड से दौड़ेगी, रानी कमपलापति स्टेशन से AIIMS तक 20 KMPH का ट्रायल पूरा

भोपाल मेट्रो अब 90 की स्पीड से दौड़ेगी. इसके लिए टेस्ट और ट्रायल भी जल्द ही किया जाएगा. अभी 20 KMPH का ट्रायल सफलता पूर्वक किया गया है.
Bhopal metro will soon run at a speed of 90 KMPH

भोपाल मेट्रो जल्द ही 90 की स्पीड से दौड़ेगी.

Bhopal Metro: भोपाल मेट्रो अब 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. जिसके लिए प्लानिंग कर ली गई है. अभी 20 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से मेट्रो का ट्रायल हो चुका है. यह ट्रायल रानी कमलापति (RKMP) रेलवे स्टेशन से एम्स के बीच हुआ है.

लोड और टेस्टिंग भी की जाएगी

भोपाल मेट्रो के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मेट्रो जल्द ही 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. इसके लिए लोड और टेस्टिंग भी की जाएगी. इसी साल जुलाई-अगस्त तक मेट्रो कॉमर्शियल रन भी शुरू हो जाएग. सभी पैमाने पर खरा उतरने के बाद RDSO(रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ) सर्वे भी करेगा.

अब स्पीड को बढ़ाने पर काम

मेट्रो कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि आरकेएमपी से एम्स के बीच 10-20 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से मेट्रो का ट्रायल किया गया है. अब इसकी स्पीड बढ़ा रहे हैं. शेड्यूल तय करके इसे दौड़ाया जा रहा है. अधिकतम स्पीड 90 किमी प्रतिघंटा तक पहुंचेगी. इससे पहले ट्रैक की मजबूती, सिग्नलिंग, ब्रेकिंग सिस्टम भी देखे जाएंगे.

ऑरेंज लाइन 7 किमी लंबी है

भोपाल मेट्रो की ऑरेंज लाइन सुभाषनगर से एम्स तक है. जो कि लगभग 7 किमी है. इस ट्रायल में पहली बार मेट्रो रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) से गुजरी. जिसके बाद डीआरएम ऑफिस और अलकापुरी स्टेशन होते हुए एम्स स्टेशन पहुंची. आरओबी का काम कुछ महीने पहले ही पूरा हुआ है. इसके बाद ट्रैक बिछाया गया. रेलवे ट्रैक और डीआरएम तिराहे पर दो स्टील ब्रिज बिछाए गए हैं.

पहली बार 2023 में ट्रायल हुआ

सुभाषनगर और रानीकमलापति के बीच में पहली बार ट्रायल रन हुआ था. यह ट्रायल 3 अक्टूबर 2023 को पहली बार हुआ था. इसके बाद कई दिनों तक टेस्टिंग होती रही. इसमें मेट्रो पास हो गई. भोपाल मेट्रो से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि मेट्रो हर स्टेशन पर 2-2 मिनट के लिए रुकेगी.

‘7 साल में DPR बनकर तैयार हुई’

साल 2009 में भोपाल मेट्रो के लिए घोषणा की गई थी. मार्च 2016 में डीपीआर बनकर तैयार हुई. इसमें ही 7 साल लग गए. साल 2018 में पहला वर्क ऑर्डर हुआ था. मेट्रो आ चुकी है, लेकिन स्टेशन अब तक तैयार नहीं हैं. प्रोजेक्ट की लागत करीब 7, 000 करोड़ रुपये है. चार साल में पूरा होना था. इस हिसाब से हर माह लगभग 145 करोड़ यानी रोज 4.86 करोड़ के काम होना था. टेंडर व वर्क ऑर्डर अलग समय में जारी हुए हैं. इसके बाद भी अतिक्रमण आदि से जो काम रुका है, उससे रोज 3 करोड़ रुपये का काम नहीं हो पा रहा है.

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