Bhopal: परिवहन घोटाला मामले में ED ने सौरभ शर्मा की 92 करोड़ की संपत्ति जब्त की, PMLA एक्ट के तहत हुई कार्रवाई

Bhopal News: चल और अचल संपत्ति मिलाकर 92.07 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. अब तक सौरभ शर्मा से जुड़ी करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है
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प्रवर्तन निदेशालय ( Image Credit: Google)

Bhopal News: परिवहन घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma) की संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जब्त कर लिया है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करके ED ने बताया कि चल और अचल संपत्ति मिलाकर 92.07 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. अब तक सौरभ शर्मा से जुड़ी करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है.

PMLA एक्ट के तहत की गई कार्रवाई

ED ने सोशल मीडिया साइट पर जानकारी देते बताया कि ये कार्रवाई PMLA एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है. आय से अधिक संपत्ति होने के कारण ये कुर्की की कार्रवाई की गई है. मंगलवार यानी 25 मार्च को ED की ओर से एक्शन लेते हुए परिवहन घोटाले में मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा और उसके रिश्तेदार और सहयोगियों की 92.07 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. ED ने बताया कि अब तक 100.36 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है.

मेंडोरी के जंगल से मिली कार और सोना सौरभ का है

ED ने बताया कि राजधानी भोपाल के मेंडोरी के जंगल से मिली कार और उसमें मिला 52 किलो सौरभ शर्मा का ही है. इसके साथ ही 11 करोड़ रुपये कैश भी सौरभ का ही है. ईडी ने रिपोर्ट में कहा है कि आयकर विभाग ने चेतन सिंह गौर की इनोवा गाड़ी से नकदी और सोना जब्त किया था.

234 किलो चांदी और 8 करोड़ रुपये कैश मिला था

19 दिसंबर को लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा के भोपाल स्थित घर पर छापेमारी की थी. यहां से 234 किलो चांदी और 8 करोड़ रुपये कैश की बरामदगी की गई थी. इसके कुछ दिन बाद IT की सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान भोपाल के मेंडोरी के जंगल से एक लावारिस कार मिली. इस कार से 52 किलो सोना बरामद हुआ था. ये कार ग्वालियर RTO में रजिस्टर्ड है. जिसका मालिक सौरभ का दोस्त चेतन गौर निकला था.

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इसी कार से एक डायरी मिली थी. इसमें 100 करोड़ रुपये के लेन-देन का ब्यौरा था. प्रदेश के 52 जिलों में RTO अधिकारियों के पैसे देने का जिक्र मिला था. ED ने सौरभ पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.

कौन है सौरभ शर्मा?

सौरभ शर्मा परिवहन विभाग में पूर्व आरक्षक था. उसे अपने पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति मिली थी. उसकी नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठे थे. नियुक्ति पत्र में सामने आया था कि उसने अपनी पारिवारिक जानकारियां छिपाई थी. पत्र में बड़े भाई का जिक्र नहीं किया था. सौरभ पर आरोप है कि उसके पास RTO नाकों से उगाही करने का जिम्मा था. इसमें कई रसूखदार लोग शामिल थे. परिवहन विभाग में उसने केवल 12 साल नौकरी की थी. नौकरी से स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने के बाद बिल्डर बन गया. वहीं चेतन गौर और शरद जायसवाल उसके दोस्त हैं.

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