MP News: 8 सालों में चयन मंडल को मिले 530 करोड़ रुपये, लैपटॉप-स्कूटी बांटने में हुआ खर्च, स्टूडेंट्स ने कहा- ये कोई सार्वजनिक सेवा नहीं है
कर्मचारी चयन मंडल (फोटो- सोशल मीडिया)
MP News: मध्य प्रदेश में अब बेरोजगार युवाओं को आकांक्षी युवाओं के नाम से जाना जाएगा. एक ओर जहां बेरोजगारी के सरकारी आंकड़ें भले ही कम हों. लेकिन रोजगार के परीक्षा फॉर्म भरने वाले आवेदकों की संख्या बता रही है कि युवाओं को रोजगार भले ही ना मिल रहा हो फिर भी कर्मचारी चयन मंडल की राशि में इजाफा हो रहा है. दरअसल बेरोजगार युवाओं से रोजगार शुल्क की राशि सरकार दूसरी योजनाओं पर खर्च कर रही है. रोजगार शुल्क की करोड़ों की राशि से सरकार ने 297 करोड़ की राशि से प्रतिभावान प्रोत्साहन योजना पर ही में खर्च कर दिए.
‘बेरोजगारों का पैसा लैपटॉप और स्कूटी में खर्च हो रहा’
कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्टूडेंट्स से वादा किया गया था कि स्टूडेंट्स एक बार ही फीस देकर कई परीक्षाओं में बैठ सकता है. अब मोहन सरकार वो वादा भूल गई है. बेरोजगारों से कमाई गई राशि सरकार लैपटॉप और स्कूटी देने में खर्च कर रही है. बेरोजगारों का पैसा योजनाओं को पूरा करने में किया जा रहा है.
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क्या कहते हैं आंकड़ें?
साल 2016 से 2024 तक 530 करोड़ रुपये की राशि बेरोजगार युवाओं से परीक्षा शुल्क के रूप में ली गई. इसमें से 297 करोड़ रुपये की राशि लैपटॉप और स्कूटी देने में खर्च की गई. कर्मचारी चयन मंडल आयोग ने 137 करोड़ रुपये लोक शिक्षण संचालनालय और 160 करोड़ रुपये की राशि DPI को दी.
‘हमारा पैसा दूसरे विभागों को दिया जा रहा’
बेरोजगार भविष्य के सपनों को लेकर फॉर्म भरकर फीस जमा कर रहे है. राशि अन्य योजना में खर्च करने को लेकर स्टूडेंट्स का कहना है कि फॉर्म भरने के लिए बार-बार फीस देनी होती है. पढ़ाई के साथ हॉस्टल, कॉपी-किताबों का खर्चा लगातार बढ़ रहा है. वन टाइम एक्जाम फीस की योजना पर फिर से सरकार ध्यान दें तो थोड़ी राहत मिलेगी. परीक्षार्थी दिव्या का कहना है कि चार-पांच एक्जाम दे चुके हैं. रिजल्ट ना आने से परेशानी बढ़ गई है. हमारे फॉर्म के पैसे किसी और योजना को दे रहे है. ये कोई सार्वजनिक सेवा थोड़ी ही है. स्टूडेंट्स को राहत देने वन टाइन फॉर्म वाली स्कीम लागू हो. राहुल का कहना है कि फीस देने में दिक्कत तो हो रही है. बेरोजगार युवा का दर्द कौन समझेगा. फीस देने में दिक्कत तो आ रही है. सरकार चुनाव के समय पहले घोषण कर देती है. बाद में सब बंद कर देती है.
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‘योजना तो बच्चों के लिए ही है’
सरकार के मंत्री लखन पटेल का कहना है कि योजना तो बच्चों के लिए ही है. सरकार की योजना है. उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग स्टूडेंट्स के लिए ही है. एक दूसरे को राशि दे सकते है. ये सब राशि तो बच्चों के लिए कल्याण के लिए ही है. वहीं उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि कर्मचारी चयन मंडल की राशि शिक्षा पर ही तो खर्च की जा रही है. स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित करने के लिए लिए राशि खर्च की जा रही है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.