PM ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनाने में 5000 करोड़ खर्च नहीं कर पाई सरकार, CAG रिपोर्ट में खुलासा

MP News: CAG ने बताया है कि अपात्र सड़कों के चयन करने से 56 हजार 706 से अधिक नागरिकों को योजना का लाभ नहीं मिला
CAG report reveals that state government could not use central funds

प्रतीकात्मक तस्वीर

MP News: केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चलाई जा रही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की पोल कैग (CAG) ने खोल दी है. भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र(Rural Area) की सड़कों को जोड़ने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी. केंद्र सरकार ने राज्य में अप्रैल 2017 से मार्च 2021 तक बनाई गई सड़कों का ऑडिट किया है. इस ऑडिट में पाया गया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 17 हजार 529 से अधिक ग्रामीण बसाहटों को जोड़ने के लिए 22 हजार 574 करोड़ रुपये की लागत से 18 हजार 910 सड़कों का निर्माण किया है.

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डामर खरीदने में भी हुई अनियमित्तता- CAG

भारत सरकार ने 5 सालों के भीतर 7 हजार 879 करोड़ रुपये की लागत से 5 हजार 965 बसाहटों को जोड़ने वाली 1 हजार 190 सड़कों को मंजूरी दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने 2 हजार 700 करोड़ की लागत से 1 हजार 956 गांव को जोड़ने के लिए 56 फीसदी सड़कों का निर्माण किया. CAG जांच में पाया है कि वित्तीय प्रबंधन के साथ-साथ सड़कों के लिए डामर खरीदी में धोखाधड़ी हुई है. खासतौर पर सड़कों के निर्माण के लिए अधिकारियों ने निर्वाचित प्रतिनिधि से सहमति नहीं ली.

CAG ने बताया है कि अपात्र सड़कों के चयन करने से 56 हजार 706 से अधिक नागरिकों को योजना का लाभ नहीं मिला. इसके अलावा सड़कों के लिए चयनित 10 जिलों में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के लिए सलाहकारों ने 7 करोड रुपये चार्ज लिया. फिर भी सर्वेक्षण के दौरान खराब मिट्टी और DPR को स्वीकार कर लिया गया.

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टेंडर में भी गड़बड़ी की जताई आशंका

कैबिनेट ऑडिट करते हुए कहा है की ट्रेनिंग की बजाय सामान्य टेंडर जारी किए गए जिसके कारण जिलों में 39 से 58% तक सड़कों के निर्माण में वृद्धि हुई. इस गड़बड़ी के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी और GM जिम्मेदार है. इसके बाद भी महाप्रबंधक तकनीकी खामियों के कारण ठेकेदारों से चार करोड रुपये वसूलने में सफल रहे. यहां तक की PUI के महाप्रबंधकों ने मार्च 2021 तक 5 करोड रुपये की वसूली की गई लेकिन सरकारी खाते में रॉयल्टी की राशि नहीं जमा की. इससे सरकार को नुकसान हुआ.

स्पीड ब्रेकर, चेतावनी और साइन बोर्ड में भी गड़बड़ी

सड़कों के निर्माण में 42 फीसदी, स्पीड ब्रेकर 27 फीसदी, चेतावनी सूचना और अनिवार्य साइन बोर्ड नहीं लगाया गया. 46 पूर्ण सड़कों में 10 पैकेज में अनदेखी की गई. जांच में भी आया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की निधि को देरी से जारी किया और सरकार पर 4 करोड़ 23 लाख का ब्याज भी बढ़ गया. कार्यक्रम निधि बैंक खाते में जमा न होने के कारण 11 करोड़ की भी हानि हुई है. इसके अलावा 21 सालों में 350 करोड़ की राशि जमा पाई गई और उसका समायोजन नहीं किया गया. जिसकी आवश्यकता भी सरकार के सामने थी.

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योजना में गड़बड़ी के साथ अनुशंसा और सिफारिश

CAG ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि डामर की खरीद में गड़बड़ी पाई गई वित्तीय प्रबंधन गुणवत्ता में कमियां थी. इसलिए मध्य प्रदेश सरकार को उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करना चाहिए. जिन्होंने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का पालन नहीं किया. बिटुमिन की खरीदी में संदिग्ध धोखाधड़ी और गतिविधियों की जांच कर सकती है. जहां पर भी आवश्यकता हो, ठेकेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई कर सकता है. इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन को विभिन्न मुद्दों पर जांच करने के लिए एक विकसित तंत्र बनाने की जरूरत है.

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