Caste Census: जातिगत जनगणना पर बीजेपी सांसद गणेश सिंह का बयान, कह दी ये बड़ी बात

Caste Census: जातिगत जनगणना के फैसले को सतना बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने इस ऐतिहासिक कदम बताया है. इस फैसले पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि समता, समरसता, सुशासन और समाजिक न्याय के एक नए युग का मैं प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय का पूरी तरह समर्थन करता हूं
Satna MP Ganesh Singh called the caste census a historic step

जातिगत जनगणना को सतना सांसद गणेश सिंह ने ऐतिहासिक कदम बताया

Caste Census: बुधवार को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) हुई. इस बैठक में जातिगत जनगणना (Caste Census) का कराने का निर्णय लिया गया. सतना से बीजेपी सांसद और अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी समिति के अध्यक्ष गणेश सिंह (Ganesh Singh) ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय लंबे समय से समाज के बड़े वर्ग में इसकी मांग थी, जिसे अब प्रधानमंत्री ने साकार करने की दिशा में ठोस पहल की है.

‘जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी’

सांसद गणेश सिंह ने बताया कि उन्होंने साल 2011 में संसद में इसकी मांग रखी थी. उन्होंने कहा कि ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के सिद्धांत को लागू करना संभव होगा. इससे खासतौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग के उन समुदायों को लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं. सांसद ने आगे कहा कि फैसले से समाज के इन वर्गों में उत्साह का माहौल है और वे पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की खुलकर प्रशंसा कर रहे हैं.

‘अब तक का सबसे बड़ा फैसला’

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जातिगत जनगणना पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सहयोगी दलों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ जिस प्रकार से देश हितैषी निर्णय लिए हैं. यह युग परिवर्तन का समय है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट के इस फैसले से समता, समरसता, सुशासन और समाजिक न्याय के एक नए युग का मैं प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय का पूरी तरह समर्थन करता हूं.

सीएम ने आगे कहा कि उनका यह निर्णय वंचितों, पिछड़ों को नीति निर्माण केंद्र में रखकर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का परिलक्षण है. कांग्रेस, राहुल गांधी और विरोध करने वालों को मुंह की खानी पड़ी है.

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आजाद भारत में अब तक नहीं हुई जाति जनगणना

अंग्रेजों ने साल 1881 में पहली बार जातिगत जनगणना करवाई थी. इसके बाद 1931 तक जातिगत जनगणना होती रही. 1941 में जाति जनगणना करवाई गई थी लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए थे. वहीं आजाद भारत में पहली बार 1951 में पहली बार जनगणना हुई थी, लेकिन इसमें सिर्फ SC/ST की गिनती की गई. SC/ST की गिनती भी मजबूरी में करवाई गई थी, क्योंकि उन्हें आरक्षण देना संवैधानिक बाध्यता थी.

आजाद भारत में अब तक जाति जनगणना नहीं करवाई गई थी. सरकार का तर्क था कि जाति जनगणना से देश में विभाजन होता है.

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