‘जीवन भर मंत्री पद स्वीकार नहीं करूंगा…’, कफ सिरप मामले में स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का बड़ा बयान, बोले- दोषियों को सजा मिलेगी

Chhindwara Medicine Controversy: स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि ये हमारे सामने है कि कैसे डॉक्टर ने मेडिकल स्टोर और मैन्यूफैक्चरर के साथ मिलकर प्रॉफिट वाला धंधा बनाया. निश्चित तौर पर सभी पर कड़ाई से सभी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है
MP Minister Narendra shiva ji patel

नरेंद्र शिवाजी पटेल, स्वास्थ्य राज्य मंत्री (File Photo)

Chhindwara Cough Syrup Case: ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप से अब तक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है. कई बच्चों का इलाज नागपुर एम्स में जारी है. अब इस मुद्दे पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का बयान सामने आया है. उन्होंने विस्तार न्यूज़ पर बड़ा बयान दिया है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि ऐसी घटना दोबारा हुई तो जीवन भर मंत्री पद स्वीकार नहीं करूंगा.

‘घटना बेहद दुखद है’

विस्तार न्यूज़ के ग्रुप एडिटर ब्रजेश राजपूत से बात करते हुए स्वास्थ्य राज्यमंत्री पटेल ने कहा कि निश्चित रूप से दुखद घटना है. मैं पीड़ितों के घर होकर आया हूं, बहुत छोटे-छोटे बच्चे थे. परिजन जिस तरह बच्चों को दवा दे रहे थे कि बच्चे जल्दी ठीक हो जाएं लेकिन वहीं दवा काल बन गई. इस दुखद घटना का सबसे बड़ा पहलू है कि इसे रोका जा सकता था. ये कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है, ये मानवीय भूल के कारण ये घटना घटी जिसमें नौनिहाल दिवंगत हुए.

‘जीवन भर मंत्री पद स्वीकार नहीं करूंगा’

छिंदवाड़ा कफ सिरप मामले में स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि हम इस बात के लिए कटिबद्ध है कि भविष्य में ऐसी घटना ना हो. ये मेरा दृढ़संकल्प है कि छिंदवाड़ा मामले के दोषियों को सजा मिलेगी मैं मंत्री रहूं या ना रहूं. मैं ये सुनिश्चित करूंगा एक नागरिक के रूप में, भविष्य में ऐसी कोई घटना होती है तो जीवन भर मंत्री पद स्वीकार नहीं करूंगा.

‘हम अंकुश लगाने में असफल रहे’

इस घटना के बाद आपको नींद आ पाती है? इस सवाल के जवाब नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा, ‘मुझे बार-बार एक बात स्मरण होती है कि हमारे बच्चों को यदि कोई चाटा भी मार दे तो हमें बड़ी तकलीफ होती है. यदि जिसके बच्चे दवा खाकर मृत्यु के गाल में समा गए, ये हम समझ सकते हैं. मैं इस बात को स्वीकार कर रहा हूं कि आत्मा कचोटती है. जिस घटना को हम रोक सकते थे, जिसके लिए हम जिम्मेदार थे, मानवीय भूल के कारण ये घटना घटी है, ये हमारी व्यवस्था चाहे फिर डॉक्टर हों, या मेडिकल स्टोर हों या मैन्यूफैक्चरिंग रही हो, इन सभी पर हम अंकुश लगाने में असफल रहे हैं.

‘डॉक्टर ने इसे प्रॉफिट का धंधा बनाया’

स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि ये हमारे सामने है कि कैसे डॉक्टर ने मेडिकल स्टोर और मैन्यूफैक्चरर के साथ मिलकर प्रॉफिट वाला धंधा बनाया. निश्चित तौर पर सभी पर कड़ाई से सभी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है. मैं ये देख रहा हूं कि कोई सिद्ध अपराधी हो जाता है तो उसके प्रोफेशन के लोग खड़े हो जाते हैं, उसे बचाने का प्रयास करते हैं ये बेहद दुखद है.

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में भी डॉक्टर के बचाव में खड़े हो रहे हैं, ज्ञापन दे रहे हैं और स्ट्राइक करने की धमकी दे रहे हैं. पीडियाट्रिक्स की बुक में लिखा है, भारत सरकार ने गाइडलाइन्स जारी की हैं कि ये दवा 4 साल से छोटे बच्चों को नहीं देना है फिर भी आपने दी. मैं तो ये मानता हूं कि आपने जानबूझकर ऐसा किया.

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‘तमिलनाडु सरकार की भी जिम्मेदारी है’

तमिलनाडु सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु सरकार की गलती भी है. दवा का कोई भी बैच जारी होता है तो एक सीओ सर्टिफिकेट जारी होता है. तमिलनाडु सरकार ने या तो गलत सर्टिफिकेट जारी किया है या नहीं किया है. ये उनकी बहुत बड़ी गलती है. ये उनकी जिम्मेदारी भी है.

‘हमारा सिस्टम सचेत था’

इस घटना के बारे में नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि इस घटना के बारे में स्थानीय प्रशासन सचेत था. तत्कालीन जिला कलेक्टर ने भी इसे नोटिस किया था. इस बारे में तुरंत प्रक्रिया शुरू हो गई थी. हम पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि बच्चों की मौत का कारण क्या है? बाद में पता चला कि डॉक्टर जो दवा दे रहा है, उसकी वजह से ये हुआ है. इसके बाद गांव-गांव मुनादी करवाई गई. इसे बच्चों को ना पिलाने की सलाह दी.

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