बिना नाम लिए भी मोहन यादव ने कुछ ऐसा कहा, बहुत चुभेगी Nitish Kumar को एमपी के सीएम की ये बात!

हालिया जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 की माने तों राज्य की कुल आबादी का लगभग 14.26 % जनसंख्या यादवों की है.
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एमपी के सीएम मोहन यादव

MP CM Mohan Yadav: सत्ता, साम्राज्य, सभ्यता-संस्कृति के विकास और उत्थान-पतन की गाथा एक शाश्वत विषय है. राजनीति को इसमें समाहित कर दें तो शायद बिहार खुद को केंद्र में पाता है. सवाल ये है कि बिहार में ‘विकास की राजनीति’ हुई है या ‘राजनीति का विकास’ हुआ है?  बहरहाल, बिहार एक बार फिर सुर्खियों में है, ये लाजिमी भी था क्योंकि बिहार की सरजमीं पर ‘मोहन’ का आगमन हुआ. लेकिन मौजूदा वक्त में चर्चा ‘मोहन’ की नहीं, ‘यादव’ की हो चली है. मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव अपने एक दिवसीय दौरे पर गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना पहुंचे. भाजपा के आलाकमान और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया. मध्यप्रदेश की गद्दी पर बैठने के बाद मोहन यादव का यह पहला बिहार दौरा था. श्री कृष्ण चेतना विचार मंच की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन यादव ने बिहार के लोगों को मध्य प्रदेश में व्यापार करने के लिए आमंत्रित किया.

हजारों साल से है मध्यप्रदेश और बिहार का रिश्ता- सीएम मोहन यादव

श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, “माता सीता की जन्मस्थली बिहार आकर मैं स्वंय को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. बिहार जैसे पावन और पवित्र धरती को मैं प्रणाम करता हूं. बिहार भगवान महावीर स्वामी जी की धरती है, सम्राट अशोक की धरती है. मध्यप्रदेश के उज्जैन से सम्राट अशोक का अलग रिश्ता रहा है. हजारों साल से मध्यप्रदेश और बिहार का रिश्ता अकल्पनीय रहा है।.प्राचीन काल से ही मध्यप्रदेश की भूमिका अलौकिक रही है.”

बीमारू राज्य में बिहार सबसे आगे

बिहार में हुई जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट की मानें तो राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार रहते हैं, जिनमें 94 लाख से अधिक परिवार ऐसे हैं जो प्रति माह 6,000 रुपए या उससे कम पर जीवनयापन करते हैं. लेकिन अन्य प्रदेशों से तुलना करें तो बिहार में आत्महत्या न के बराबर है. मोहन यादव ने कहा कि पिछड़े राज्यों की सूची में बिहार सबसे आगे है. जबकि आपातकाल के समय बिहार की धरती से ही शंखनाद हुआ था. उन्होंने आगे कहा कि देश के 5 बीमारू राज्य में 4 आगे बढ़ गए लेकिन बिहार वहीं खड़ा है. यह सब कुछ कमजोर नेतृत्व क्षमता के कारण है. ये बात ऐसी थी जो नीतीश कुमार को बहुत चुभेगी.

‘लोकतंत्र को जिंदा रखने में यादव समाज आगे’

मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म की स्थापना के लिए भगवान कृष्ण ने ख़ुद को सबसे पहले आगे किया था. लोकतंत्र को जिंदा रखने में हमारे समाज की अहम भूमिका है. यादव समाज के लोग गाय पालकर भी अपना जीवनयापन करते हैं. मोहन ने कहा कि श्रीप्रा नदी के तट से आकर गंगा के तटवासियों को प्रणाम करके स्पंदन और आनंद महसूस कर रहा हूं. पीएम मोदी के कारण मुझे मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है. चाय बेचकर मोदी जी पीएम बने. आज देश में विकास हो रहा है. विदेश में भारत का डंका बज रहा है.

राजनीतिक तौर पर कितना फायदा

बिहार सरकार की ओर से कराई गए जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 की माने तों राज्य की कुल आबादी का लगभग 14.26 % जनसंख्या यादवों की है, जो कि प्रदेश के कुल 40 लोकसभा सीट में से तकरीबन 11 सीट जैसे किशनगंज, जहानाबाद, सारण (छपरा, सिवान, गोपालगंज), बांका, मधुबनी पर अपनी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में मोहन यादव का बिहार दौरा बीजेपी के नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है. अब इसमें बीजेपी को कितनी सफलता मिलती है, ये आने वाला वक्त बताएगा.

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