मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, अब जीतू पटवारी के लिए आगे क्या?
Lok Sabha Election 2024: विधानसभा चुनाव में हार के छह महीने बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लगा. लोकसभा की सभी सीटें भाजपा के खाते में चली गईं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमल नाथ सहित राज्य के बड़े कांग्रेसी नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए. राज्य के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब कांग्रेस के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है और सभी 29 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
कांग्रेस ब्रिगेड की उम्मीद चकनाचूर
नवंबर 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सरकार बनाने और कमल नाथ के सीएम के रूप में वापसी का भरोसा था. लेकिन जब नतीजे आए तो भाजपा को 230 में से 163 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला और कांग्रेस को केवल 66 सीटें मिलीं. नतीजों ने कांग्रेस ब्रिगेड की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया, जो 2003 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह शासन की हार के बाद से सत्ता में वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. दिसंबर 2018 से 15 महीने के बनी कमल नाथ सरकार ने पार्टी में नई जान फूंकने की शुरुआत की, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गई.
भाजपा फिर से सत्ता में आई तो नेता और कार्यकर्ता हताश हो गए. पार्टी ने कमल नाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया और उनकी जगह 27 साल छोटे जीतू पटवारी को नियुक्त किया. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी चाहते थे कि नई शुरुआत के लिए अगली पीढ़ी को कमान सौंपी जाए. हालांकि जीतू पटवारी की अचानक नियुक्ति से पार्टी में निराशा कम नहीं हो सकी. पूर्व प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष और कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी संगठन में तेजी से आ रही गिरावट को थामने में नाकाम रहे.
यह भी पढ़ें: Modi 3.0 के शपथ ग्रहण की तैयारी, बांग्लादेश-श्रीलंका समेत इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को किया गया आमंत्रित
कई नेताओं ने छोड़ा कांग्रेस का साथ
एक जनवरी से नौ मार्च के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, अग्रिम संगठन के पदाधिकारियों समेत 5800 वरिष्ठ पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि हजारों समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. 7 अप्रैल को राज्य भाजपा ने आधिकारिक तौर पर दावा किया कि 2.58 लाख से अधिक नए सदस्य पार्टी में शामिल हुए हैं और इनमें से अधिकांश कांग्रेस से आए हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी, तीन मौजूदा विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. अब तक के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो जीतू पटवारी कुछ कमाल नहीं कर पाए हैं. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व आगे क्या करती है देखना दिलचस्प होगा.