कौन है डॉ. एनजोन केम? जिन्होंने दमोह में किया 7 मरीजों का ‘मौत का ऑपरेशन’! गरमाई सियासत

Damoh: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हार्ट के फर्जी डॉक्टर ने 7 मरीजों के मौत का ऑपरेशन कर दिया. डॉक्टर का भांडाफोड़ होने के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है.
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फर्जी डॉक्टर

Damoh (अर्पित बड़कुल): मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक ऐसे डॉक्टर का भांडाफोड़ हुआ है, जिसने हार्ट सर्जरी नहीं 7 मरीजों का मौत का ऑपरेशन किया है. मामला मिशनरी संस्थान द्वारा संचालित मिशन हॉस्पिटल का है. यहां नरेंद्र यादव नाम का शख्स खुद को लंदन का कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. N.John Camm बताकर नौकरी कर रहा था. 7 लोगों की मौत का पूरा मामला सामने आते ही राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूगो ने इसे लेकर जांच के आदेश दिए हैं. प्रदेश के CM डॉ. मोहन यादव ने भी सख्त रवैया अपनाते हुए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं. वहीं, इसे लेकर सियासत भी गरमा गई है.

क्या है 7 मरीजों के’मौत के ऑपरेशन’ का मामला?

मामला मध्य प्रदेश के दमोह जिला के राय चौराहा स्थित मिशनरी हॉस्पिटल का है. मृतक मंगल सिंह परिहार पटेरा तहसील के भरतला का रहने वाला था. उसके परिजनों का आरोप है कि 3 फरवरी को मंगल के सीने में हल्का दर्द और बेचैनी हुई.इसके बाद परिजनों ने गांव के ही झोलाछाप डॉक्टर दुर्गा प्रसाद से मंगल सिंह का इलाज कराया और फिर झोलाछाप डॉक्टर की सलाह पर 4 फरवरी को सुबह दमोह के मिशनरी अस्पताल में भर्ती करा दिया.आनन-फानन में हॉस्पिटल के डॉक्टर ने मंगल सिंह परिहार की एंजियोग्राफी की और फिर लंदन के मशहूर डॉक्टर एन जॉन केम ने मंगल परिहार के हार्ट का ऑपरेशन किया.

परिजनों का आरोप है कि उन्हें बिना बताए ही डॉक्टर ने न केवल मरीज का ऑपरेशन किया बल्कि ऑपरेशन के बाद भी परिजनों को मरीज से मिलने नहीं दिया गया. सुबह 09:00 बजे अस्पताल प्रबंधन ने मरीज मंगल सिंह परिहार को मृत घोषित कर दिया. जब परिजनों ने मौत की वजह जाननी चाही तो अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को गुमराह करते हुए मृतक मंगल सिंह परिहार को दूसरा अटैक आने के कारण मौत होने की वजह बताई.

पोस्टमार्टम न कराने की सलाह

इतना ही नहीं अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए मिशनरी हॉस्पिटल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को पोस्टमार्टम न कराने की सलाह देकर गांव के लिए रवाना कर दिया. 26 फरवरी 2025 को अस्पताल ने मृतक मंगल सिंह परिहार का डेथ सर्टिफिकेट जारी करते हुए परिजनों को सौंपा दिया.

कैसे हुआ फर्जी डॉक्टर का भांडाफोड़?

ऐसा ही मामला कुछ दिनों पहले इसी अस्पताल से सामने आया, जब शहर के एक पेशेंट का चेकअप करने के लिए अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट से डॉक्टर एन जॉन केम पहुंचे, लेकिन वह डॉक्टर मरीज को डायग्नोस नहीं कर पा रहे थे. इस कारण मरीज के परिजनों की डॉक्टर से बहस हो गई और परिजन अपने मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर जबलपुर ले गए. इसी घटना से फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर N.John Camm का भांडाफोड़ हो गया. जैसे-जैसे मामले की गहन जांच-पड़ताल हुई वैसे-वैसे हॉस्पिटल का पर्दाफाश होता चला गया. फर्जी डॉक्टर N.John Camm की पहचान नरेंद्र यादव के रूप में हुई. वह खुद को लंदन के प्रोफेसर डॉ एन जॉन केम बताकर लोगों को मौत की नींद सुला रहा था.

फरार हुआ फर्जी डॉक्टर

मामले का भांडाफोड़ होते ही डॉक्टर नरेंद्र यादव दमोह से गायब हो गया है. वहीं, इस मामले में शिकायकर्ता और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी का कहना है कि जिला प्रशासन के लचीले रवैये के चलते इतनी बड़ी घटना हुई है.

CM मोहन यादव का सख्त रवैया

फर्जी डॉक्टर का खुलासा होते ही इस मामले में CM डॉ. मोहन यादव ने सख्त रवैया अपनाया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी. स्वास्थ्य विभाग को न सिर्फ इस केस के बल्कि प्रदेश भर में इस तरह की गड़बड़ियों की जांच के निर्देश दिए हैं.

प्रियंक कानूगो ने दिए जांच के आदेश

इस मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूगो ने भी जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा-‘मामले की जांच के लिए मेरे आदेश पर गठित किया गया राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का जांच दल 7 अप्रेल से 9 अप्रेल तक दमोह में कैम्प कर जांच करेगा. यदि कोई पीड़ित या कोई अन्य व्यक्ति मामले से संबंधित जानकारी प्रदान करना चाहते हैं तो दमोह में जांच दल से भेंट कर सकते हैं. जांच दल प्रशासनिक अधिकारियों सहित शिकायत में उल्लेखित संस्थान व व्यक्तियों का परीक्षण करेगा.’

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम पहुंची दमोह

दमोह मिशनरी हॉस्पिटल के कागजात को खंगालने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की तीन सदस्यीय टीम दमोह पहुंची है. ये टीम तीन दिनों तक दमोह में रहेगी और हर एक पहलू पर बारीकी से जांच करेगी. टीम के सदस्यों की लगातार ही मृतको के परिजनों से बातचीत जारी है.

आउटसोर्स कंपनी ने कराई भर्ती

दमोह फर्जी डॉक्टर केस में जांच के दौरान सामने आया कि फर्जी डॉक्टर आरोपी नरेंद्र उर्फ जॉन केम की जॉब आउटसोर्स कंपनी के द्वारा लगवाई गई थी. आउटसोर्स कंपनी ने बिना डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किए सीधे नरेंद्र को नियुक्ति दिलाई थी.

प्रशासन ने लिया एक्शन, FIR दर्ज

इस मामले को लेकर मचे बवाल के बीच नरेंद्र उर्फ जॉन केम के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. यह एक्शन कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर मरीजों का इलाज करने को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मुकेश जैन द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिवेदन के आधार पर लिया गया है. फर्जी डॉक्टर आरोपी नरेंद्र उर्फ जॉन केम के खिलाफ दमोह के सिटी कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया गया है.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत के लगे आरोप

दमोह के फर्जी डॉक्टर नरेंद्र के खिलाफ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत के गंभीर आरोप भी लगे हैं. आरोप है कि नरेंद्र उर्फ जॉन केम ने बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का इलाज किया था. उसके ही इलाज से उनकी मौत हो गई. परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए अपोलो अस्पताल में 18 साल पुरानी फाइल खुलवाई है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के बेटे डॉ प्रमोद शुक्ला ने कहा कि पूरे मामले की न्यायिक जांच हो. पिता को फर्जी डॉक्टर के इलाज के बाद खाया.

MP में गरमाई सियासत

फर्जी डॉक्टर मामले को लेकर प्रदेश में सियासत गरमा गई है. कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने इस लेकर प्रदेश सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. रवि सक्सेना ने कहा कि स्वास्थ्य महकमा कुंभकरण की नींद सो रहा है और फर्जी डॉक्टर लोगों को इलाज कर रहे हैं. उन्होंने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज करने के साथ ही हत्या का मामला दर्ज करने की भी मांग की है. साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जांच के साथ-साथ मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की मांग की है. उन्होंने MP में अमानक दवाओं की ब्रिक्री के आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा आयुष्मान कार्ड में भी निजी अस्पतालों में जमकर धांधली चल रही है.

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