MP News: शाजापुर जिले में हेलीकॉप्टर से हांका लगाकर पकड़े गए हिरण, बोमा पद्धति से चल रहा अभियान

MP News: अभियान की शुरुआत 15 अक्टूबर को हुई थी, लेकिन शुरुआती पांच दिन तैयारी में ही बीत गए, जिससे अभियान की गति को लेकर सवाल उठे थे.
Deer caught by helicopter chase

हेलीकॉप्टर से हांका लगाकर पकड़े गए हिरण

MP News: शाजापुर जिले के कालापीपल क्षेत्र के ग्राम इमलीखेड़ा में सोमवार सुबह वन विभाग ने साउथ अफ्रीका की विशेषज्ञ टीम की मदद से हेलीकॉप्टर के जरिए हांका लगाकर हिरणों को पकड़ा. यह अभियान दक्षिण अफ्रीका की बोमा पद्धति से संचालित किया जा रहा है, जिसके तहत हेलीकॉप्टर से हिरणों के झुंड को धीरे-धीरे घेरकर बोमा तक पहुंचाया गया. इसके बाद जानवरों को वहां से वाहनों में लोड कर अलग-अलग परीक्षण के लिए भेजा गया.

हेलीकॉप्टर से हांका लगाकर हिरणों को पकड़ा

जानकारी के मुताबिक, इस अभियान की शुरुआत 15 अक्टूबर को हुई थी, लेकिन शुरुआती पांच दिन तैयारी में ही बीत गए, जिससे अभियान की गति को लेकर सवाल उठे थे. हालांकि दीपावली की सुबह पहली बार हेलीकॉप्टर से हांका लगाया गया और हिरणों को सफलतापूर्वक पकड़ा गया. यह अभियान पांच नवंबर तक चलेगा, जिसमें 10 स्थानों से नीलगाय और कृष्णमृग को भी पकड़ा जाएगा.

बताया जा रहा है कि गांधीसागर अभयारण्य को कूनो के बाद चीतों का दूसरा घर बनाया गया है. पकड़े गए नीलगाय और कृष्णमृगों को वहीं छोड़ा जाएगा, जो चीतों के प्राकृतिक भोजन का हिस्सा बनेंगे. शुरूआती चरण में लगभग 400 कृष्णमृग और 100 नीलगायों को शिफ्ट करने की योजना है. वन विभाग पहले ही उन स्थानों का सर्वे कर चुका है, जहां इन जानवरों की अधिकता है.

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फसलों को होता है भारी नुकसान

गौरतलब है कि नीलगाय और कृष्णमृग अक्सर किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. इस समस्या को लेकर किसान कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं और विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है. बोमा पद्धति के तहत कम रिहायशी इलाकों में एक हराभरा रास्ता तैयार किया जाता है, जहां जानवरों को भोजन के सहारे आकर्षित कर घेरा जाता है. इसका आखिरी हिस्सा वाहनों या पिंजरों की ओर खुलता है, जिससे जानवरों को पकड़ने में आसानी होती है. अभियान के दौरान ड्रोन कैमरों और अन्य आधुनिक संसाधनों की मदद से जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.

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