Balaghat: वन विभाग के चौकीदारों ने बाघ का शव जलाया, जांच दल ने 6 लोगों को हिरासत में लिया, 27 जुलाई को टाइगर का शव मिला था
वन विभागों के चौकीदारों ने बाघ के शव को जलाया.
Input: चितरंजन नेरकर
Balaghat News: बालाघाट के सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व बीट में बाघ की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है. वन विभागों के चौकीदारों ने बाघ के शव को जला दिया है. वहीं सूचना पाकर मौके पर पहुंची जांच टीम ने 6 लोगों को हिरासत में लिया है. आरोप है कि वनपाल और बिटगार्ड के कहने पर वन विभाग के चौकीदारों ने बाघ का शव शव जला डाला. वहीं रिक्षेत्र सहायक और बिटगार्ड को सस्पेंड कर दिया है. सोनेवानी वन्यसुरक्षा समिति ने की दोषी कर्मचारियों को बर्खास्त करने की मांग है.
विस्तार से जानिए पूरा मामला
दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व बीट कक्ष क्रमांक 443 ग्राम बोरी के पोटूटोला नहर के पास बहने वाले कालागोटा नाला में एक मृत बाघिन उम्र लगभग 6 वर्ष का शव वर्षा की बाढ़ में बहकर आया था. बाघिन के शव काे बिना प्रोटोकाल के डिप्टी रेंजर टिकाराम हनोते और बहियाटिकुर वनरक्षक हिमांशु घोरमारे के कहने पर छह सुरक्षा श्रमिकों ने मिलकर तीन दिन शव को इधर उधर करने के बाद चौथे दिन जलाकर नष्ट कर दिया गया. लेकिन इनमें से एक सुरक्षा श्रमिक ने फोटो खीचकर अपने पास रख ली थी. इस मामले में घोर लापरवाही पाए जाने पर डिप्टी रेंजर, वनरक्षक पर निलंबन की कार्रवाई की गई हैं.
घटना के एक सप्ताह बाद शनिवार को इंटरनेट मीडिया पर मृत बाघिन के शव की फोटो एक वन्यजीव प्रेमी ने बहुप्रसारित की थीं. वन विभाग ने आनन-फानन में दो टीम बनाकर डाग स्क्वाड, फ्लाइंग स्क्वाड के साथ दो दिन तक सर्चिंग की . इस बीच जिस जगह मृत बाघिन का शव बाढ़ फोटो में दिख रहा था वह जगह तो मिल गई थी, लेकिन शव गायब था.
सुरक्षा श्रमिकों को हिरासत में लिया गया
डीएफओ अधर गुप्ता ने बताया कि शनिवार की रात्रि ही सुरक्षा श्रमिकों को हिरासत ले लिया गया था. जिन्होंने बताया कि 27 जुलाई को सुरक्षा श्रमिक हरिलाल को बहियाटिकुर बीट में मानसिंह ने बताया था कि पोटूटोला नहर के पास बाघ मृत पड़ा है. हरिलाल, सितकुर, शिवकुमार, सुपसिंह, मानसिंह, दीपसिंह सलामे, देवसिंह, गनपत ने घटनास्थल से बाघिन को हटा दिया गया. 28 जुलाई को मृत बाघिन को दूसरे स्थान में लेकर चले गए. 29 जुलाई को घटना स्थल से तीन किलोमीटर दूर कक्ष क्रमांक 440 से 444 की सीमा लाइन में ले जाकर रख दिए. 30 जुलाई को लकड़ी जमा कर बाघिन के शव को जला दिया.
इधर, रविवार को सुरक्षा श्रमिक के स्वजन वन विभाग कार्यालय लालबर्रा में आकर एक घंटा प्रदर्शन किया. मामले की थाने में शिकायत कर निष्पक्ष जांच की मांग की गई. लोगों ने बताया कि डिप्टी रेंजर और वनरक्षक ने जंगल के अंदर ही बाघिन के शव को जलाने के लिए सुरक्षा श्रमिकों से कहा गया. सुरक्षा कर्मी छह वर्ष से वन विभाग में सेवारत हैं. वन अमले ने उस स्थान से कुछ अवशेष बरामद किए हैं. इस मामले में वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है, लेकिन अधिकारी बचने का पूरा प्रयास कर रहे हैं.
प्रोटोकाल में ऐसी होती है पूरी प्रक्रिया
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के तहत जब भी बाघ या तेंदुआ मरने पर घटनास्थल से सौ मीटर क्षेत्र को पूरी तरह से बंद कर देते हैं ताकि साक्ष्य बचे रहे. उसके बाद तत्काल रेंजर, डिप्टी रेंजर डाग स्क्वाड बुलाने का नियम रहता है. जब तक कोई अंदर नहीं जा सकता. बस डाग स्क्वाड जाकर कार्रवाई करता है. इसके बाद तीन सदस्यीय डाक्टर की टीम पोस्टमार्टम करती है. पोस्टमार्टम के दौरान वरिष्ठ अधिकारी का खड़ा रहना जरूरी है. इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि, एनटीसीए का प्रतिनिधि व तहसीलदार का रहना जरूरी है. इनकी मौजूदगी में सैंपल लेकर फॉरेंसिक लैब भेजा जाता है. उसके बाद पोस्टमार्टम के बाद सभी की मौजदूगी में शव को जला देते हैं. जब तक समूल तरह से शव नष्ट न हो जाए. उसके 24 घंटे बाद प्राथमिक सूचना भोपाल भेजना होता है, लेकिन सोनेवानी में ऐसा कुछ नहीं किया गया.
एक सप्ताह पूर्व बहियाटिकुर बीट के पोटूटोला नहर समीप नाले में एक मृत बाघिन का शव देखा गया. शव को डिप्टी रेंजर और वनरक्षक के कहने पर तीन दिन तक शव को इधर-उधर रखते गए. चौथे दिन दूसरे बीट में ले जाकर शव को जलाकर नष्ट कर दिया. मामले में छह सुरक्षा श्रमिकों को हिरासत में लिया गया है, जिन्हें न्यायालय में आज पेश करेंगे. साथ ही बाघिन के कुछ अवशेष मिले हैं. डीएनए टेस्ट के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा.
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