Shiv Temple: महाकाल से लेकर गैवीनाथ तक मध्य प्रदेश के 5 अनोखे शिव मंदिर, जहां होता है आध्यात्म और आस्था का अद्भुत संगम

Shiv Temple: भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ का मंदिर भारत के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक है. यहां स्थापित शिवलिंग अष्टमुखी है जो सबसे अलग है. इस शिवलिंग के मुख अलग-अलग प्रतीकों को संदर्भित करते हैं
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MP के अनोखे शिव मंदिर

Shiv Temple: मध्य प्रदेश जितना नेचुरल ब्यूटी का पर्याय है, उतना ही आध्यात्म और आस्था का केंद्र हैं. पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर लेकर दक्षिण तक प्रसिद्ध शिवालय हैं. हर शिवालय की अपनी अनोखी कहानी है. यहां दो ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर हैं, जहां देश-दुनिया से भक्त आते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं. इन ज्योतिर्लिंगों के अलावा और भी कई शिव मंदिर जिनका अपना ही महत्व है.

महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन

देश की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है. यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है. महाकाल, जिसका शाब्दिक अर्थ कालों का भी काल होता है. यहां होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है जिसे देखने श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं. सावन के महीने के हर सोमवार बाबा महाकाल उज्जैन में राजसी सवारी पर निकलते हैं. पूरे नगर का भ्रमण करते हैं और प्रजा का हाल जानते हैं.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा

खंडवा जिले के मांधाता द्वीप पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. ऐसा माना जाता है कि यह दो ज्योतिर्लिंगों का समूह है इनमें ओंकारेश्वर और अमरेश्वर हैं. यहां होने वाली शयन आरती इसे अलग बनाती है. रात में शयन आरती की जाती है, इसमें देवी पार्वती और भगवान चौपड़ खेलते हैं. नर्मदा तट पर स्थित एकमात्र ज्योतिर्लिंग है. इसी जगह जगद्गुरु शंकराचार्य ने तपस्या भी की थी.

पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर

भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ का मंदिर भारत के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक है. यहां स्थापित शिवलिंग अष्टमुखी है जो सबसे अलग है. इस शिवलिंग के मुख अलग-अलग प्रतीकों को संदर्भित करते हैं. शिवना नदी के किनारे मंदिर स्थित है. यहां 37 क्विंटल वजनी घंटा लगाया गया है, जो संभवत: प्रदेश का सबसे विशाल घंटा है.

अचलेश्वर महादेव मंदिर, ग्वालियर

ऐसा कहा जाता है कि ये पांडव कालीन मंदिर है. एक बार एक राजा की शाही सवारी निकल रही थी. शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा शाही सवारी के रास्ते में आ गया. बाद में इसे खुदवाया गया लेकिन इसका ओर-छोर नहीं मिला. इसके बाद इसे रस्से से खिंचवाया गया, लेकिन फिर भी शिवलिंग को निकालने में सफलता हाथ नहीं लगी. इसके बाद इन्हें अचलेश्वर महादेव के नाम से स्थापित किया गया.

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गैवीनाथ महादेव मंदिर, सतना

सतना जिले के वीरसिंहपुर में गैवीनाथ महादेव मंदिर है. इस शिवलिंग का जिक्र पद्मपुराण में मिलता है. त्रेतायुग के समय की माना जाता है. औरंगजेब के शिवलिंग पर किए गए प्रहारों को आज भी देखा जा सकता है. यहां मन्नत के धागे बांधे जाते हैं जो कलावा से बने होते हैं. यहां एक कुंड भी है. इसके साथ ही हर सोमवार को यहां भक्तों को तांता लगता है.

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