बड़वानी में है देवी गजलक्ष्मी का 200 साल पुराना अनोखा मंदिर, नाव से लाई गई थी प्रतिमा, खीर खाने से होती है संतान प्राप्ति
देवी गजलक्ष्मी मंदिर, बड़वानी
Diwali 2025 (बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट): बड़वानी शहर के रानीपुरा इलाके में मौजूद महालक्ष्मी मंदिर में वैसे तो अभिषेक-पूजन, श्रृंगार और महाआरती पूरे साल होती है, लेकिन इस साल दीपोत्सव की अलग ही रौनक है. 200 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर में दीपावली के मौके पर हर दिन अलग थीम पर फूल बंगला सजाया जा रहा है. ये मंदिर कई मायनों में खास है. इसमें कमल आसन पर वरद मुद्रा यानी दान देने की मुद्रा में गजलक्ष्मी विराजित हैं.
नाव से मूर्ति को मंदिर तक लाया गया
धनतेरस के मौके पर सुबह 3 बजे अभिषेक पूजन के साथ 6 बजे पट खुल जाते हैं. दिनभर दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खुला रहेगा. तीसरी पीढ़ी से मंदिर में सेवा करने वाले पंडित राहुल शुक्ला ने कहा कि “ये मंदिर पोरवाड़ समाज के अधीनस्थ होकर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. एक भक्त को स्वप्न आने पर राजस्थान से नदियां पार कर नाव से प्रतिमा को यहां लाया गया था.
12 साल पहले इसका जीर्णोद्धार कराने के बाद अब ये बड़े स्वरूप में दिखाई देता है. इस बार धनतेरस पर अलसुबह से अभिषेक, पूजन के बाद 6 बजे पट खोले गए. इसके बाद 8 बजे आरती हुई. पंचमेवा, पान और रबड़ी सहित विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया गया. दर्शन के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है.
संतान प्राप्ति के लिए खीर लेकर जाते हैं
मंदिर में शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और श्राद्ध पक्ष की अष्टमी के दिन माता के जन्मोत्सव पर हवन होता है. इस दौरान हवन में डाली जाने वाली खीर को श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए लेकर जाते हैं. वहीं श्रद्धालु ही माता के श्रृंगार की सामग्री भेंट करते है. जिससे माता रानी का श्रृंगार होता है.
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ये मंदिर की विशेषता
मंदिर और दर्शन: बड़वानी के रानीपुरा इलाके में स्थित यह 200 साल से अधिक पुराना महालक्ष्मी मंदिर है.
आकर्षण: इस साल दीपोत्सव पर मंदिर में खास फूलों की सजावट की गई.
प्रसाद: भक्तों के लिए पंचमेवा, रबड़ी और अन्य मिठाइयों का भोग लगाया जाता है.
प्रसिद्धि: यह मंदिर अपनी खास गजलक्ष्मी की प्रतिमा के लिए जाना जाता है, जो कमल आसन पर वरद मुद्रा में विराजित हैं.