Gwalior: दिवाली का जश्न पड़ेगा फीका! रात में सिर्फ 2 घंटे ही फोड़ सकेंगे ग्रीन पटाखे

Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में दिवाली का जश्न फीका पड़ने वाला है. कलेक्टर रुचिका चौहान ने पटाखों को लेकर गाइडलाइन जारी की है. 100 इलाकों में पटाखे फोड़ने पर रोक रहेगी, जबकि बाकी इलाकों में सिर्फ रात 8 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे ही फोड़ सकेंगे.
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ग्वालियर में पटाखों पर रोक!

Firecracker Ban in Gwalior: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में इस दिवाली लोगों के जश्न का रंग फीका पड़ने वाला है. इस साल दीपावली पर मनचाहे समय तक पटाखे नहीं फोड़ सकेंगे. जिला कलेक्टर रुचिका चौहान ने त्योहार के दौरान केवल ग्रीन पटाखों के लिए रात 8 से 10 बजे तक यानी दो घंटे की अनुमति दी है. वहीं, संवेदनशील क्षेत्रों में 100 मीटर के रेंज पर पटाखों पर रोक लगाई गई है. इस फैसले का मकसद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

सिर्फ ग्रीन पटाखे ही फोड़ सकेंगे

कलेक्टर रुचिका चौहान के आदेश के मुताबिक ग्वालियर में दीपावली पर सिर्फ ग्रीन पटाखे जैसे फुलझड़ी, अनार और मेरून जलाए जा सकेंगे. बेरियम सॉल्ट या अन्य जहरीले रसायनों वाले पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित हैं. साथ ही लड़ी वाले पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग भी बैन है.

संवेदनशील इलाकों में सख्ती

वहीं, जिले के संवेदनशील इलाके जैसे- अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, धार्मिक स्थल और हेल्थ केयर सेंटर्स से 100 मीटर के दायरे में पटाखे फोड़ना मना है. इन क्षेत्रों में आतिशबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर रोक

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Amazon, Flipkart आदि पर पटाखों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा. केवल मान्यता प्राप्त विक्रेताओं से ही पटाखे खरीदे जा सकते हैं. पटाखों की आवाज 4 मीटर की दूरी पर 125 डीबी (A) से अधिक नहीं होनी चाहिए.

प्रदूषण पर सख्त निगरानी

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत दीपावली से 7 दिन पहले और बाद तक यानी कुल 14 दिनों तक वायु गुणवत्ता की निगरानी होगी. इस दौरान एल्युमिनियम, बेरियम और आयरन जैसे प्रदूषकों का विश्लेषण किया जाएगा.

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पटाखों के कचरे का निपटान

कलेक्टर ने चेतावनी दी है कि पटाखों के कागज या अधजली बारूद को खुले में न फेंका जाए क्योंकि यह पशुओं और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है. नागरिकों से अपील है कि कचरे को अलग इकट्ठा कर नगर निगम को सौंपें, जो इसका उचित निपटान करेगा. इसके अलावा कलेक्टर ने पुलिस, नगर निगम आयुक्त, एसडीएम और पंचायत अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.

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