आंबेडकर प्रतिमा की मांग को लेकर कांग्रेस करने वाली थी आंदोलन, मोहन यादव के एक बयान ने निकाल दी विपक्ष की ‘हवा’

MP News: ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर सीएम मोहन यादव का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में आंबेडकर जी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए चीफ जस्टिस ने एक कमेटी बनाई है. जो भी निर्णय आएगा हम उसे स्वीकार करेंगे
CM Mohan Yadav

सीएम मोहन यादव

MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench) परिसर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर गतिरोध जारी है. जहां कांग्रेस ने मूर्ति की स्थापना को लेकर सत्याग्रह करने तैयारी कर ली है तो वहीं सोमवार इस मामले पर सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) का बयान सामने आया है. मुख्यमंत्री के बयान से कांग्रेस का पूरा सुस्त पड़ता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस 25 जून को ग्वालियर के सूर्य नमस्कार चौराहे पर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रही है.

‘कमेटी का जो निर्णय होगा वो स्वीकार करेंगे’

मीडिया से बात करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश में अपना जनाधार खो रही है. कांग्रेस अपने बिखरते जनाधार को वापस पाने के लिए आंबेडकर जी का नाम लेकर और संविधान का नाम लेकर पुराने पाप को छिपाने की कोशिश कर रही है. ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में आंबेडकर जी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए चीफ जस्टिस ने एक कमेटी बनाई है. जो भी निर्णय आएगा हम उसे स्वीकार करेंगे. हमारी पार्टी और हमारा संगठन सदैव तत्पर है.

25 जून ग्वालियर में बड़े आंदोलन की तैयारी

ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को स्थापित करने के समर्थन में कांग्रेस 25 जून को सूर्य नमस्कार तिराहा पर कांग्रेस उपवास सत्याग्रह करेगी. इस सत्याग्रह में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी समेत अनेक वरिष्ठ नेता सम्मिलित होंगे.

क्या है पूरा मामला?

ग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर में भीमराव आंबेडकर मूर्ति विवाद की शुरुआत 19 फरवरी 2025 को हुई थी. इसी दिन 19 फरवरी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ग्वालियर आए थे. यहां वकील विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उन्होंने ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग की थी.

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इस मांग को लेकर चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दे दी थी. इसके बाद PWD ने परिसर में मूर्ति के लिए संरचना बना दिया. वकीलों ने चंदा इकट्ठा करके मूर्ति बनवाई गई लेकिन वकीलों के इस गुट ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को इसकी जानकारी नहीं दी थी. इसी वजह से टकराव शुरू हो गया. 10 मई को बार एसोसिएशन ने जाकर स्ट्रक्चर पर तिरंगा लगा दिया.

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