यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर HC में तीखी बहस, यचिकाकर्ता ने कहा – 11 मिलियन मीट्रिक टन कचरा बाकी, सरकार ने बताया – फेक न्यूज फैलाई जा रही
MP News: भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) से जुड़े यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण के मामले को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और विवेक कुमार जैन की खंडपीठ में हुई. इस सुनवाई में सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच तीखी बहस हुई.
‘कचरा लंबे समय तक कंटेनर में रखना खतरनाक’
प्रदेश सरकार ने मामले में अपना पक्ष रखते हुए हाई कोर्ट से अधिक समय और कचरे को सुरक्षित तरीके से अनलोड करने की अनुमति मांगी. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने हिसाब से समय ले और विनिष्टीकरण करे. सरकार ने कोर्ट में हलफनामा पेश कर साफ किया कि कचरे को कंटेनर्स में लंबे समय तक रखना संभव नहीं है. यह खतरनाक साबित हो सकता है.
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सरकार ने कोर्ट से अपील की कि कचरे को सावधानीपूर्वक अनलोड करने और उसके सुरक्षित निपटारे के लिए और समय दिया जाए. सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ पब्लिसिटी स्टंट और फेक मीडिया रिपोर्ट्स के कारण पीथमपुर में हंगामा किया गया. इससे विनिष्टीकरण प्रक्रिया में रूकावट पैदा हुई है. इसलिए फेक मीडिया रिपोर्ट्स में रोक लगनी चाहिए.
’11 मिलियन मीट्रिक टन कचरा अभी भी बाकी’
याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में गठित हाई लेवल कमेटी से रिपोर्ट पेश करने की मांग की. कचरे के विनिष्टीकरण में हो रही देरी के कारणों का पता लगाया जा सके. उनका कहना था कि भोपाल गैस त्रासदी का कुल 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा अब भी निपटारा किए जाने का इंतजार कर रहा है. अभी तक सिर्फ 337 टन कचरा पीथमपुर में भेजा गया है. इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है.
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हाईकोर्ट ने सरकार को सावधानीपूर्वक और पहले दिए गए निर्देशों के तहत कचरे को कंटेनर्स से अनलोड करने की अनुमति दी. इसके साथ ही कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि विनिष्टीकरण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो.
मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को निर्धारित की है. सभी पक्षों से प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. भोपाल गैस त्रासदी से उत्पन्न जहरीले कचरे का निपटारा एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इतने साल बाद भी अधिकांश कचरा जस का तस पड़ा है, जिससे पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा है. हाई कोर्ट ने इस संबंध में पूर्व में भी निर्देश दिए थे कि पूरे हानिकारक कचरे का वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से निपटारा किया जाए.