संघ और सीएम की पसंद, विरासत में मिली राजनीति…हेमंत खंडेलवाल के हाथों में ऐसे ही नहीं दी गई एमपी बीजेपी की कमान

प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव 2028 में प्रस्तावित है और ऐसे में खंडेलवाल के सामने अभी तीन साल का वक्त है. लिहाजा, संगठन को और मजबूत करते हुए आगामी चुनाव में पार्टी के जीत के सिलसिले को कायम रखने का दबाव भी उन पर होगा.
Hemant Khandelwal

सीएम मोहन यादव, हेमंत खंडेलवाल, धर्मेंद्र प्रधान और सरोज पांडे

Hemant Khandelwal: मध्य प्रदेश भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है. नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद तय हो गया था कि हेमंत खंडेलवाल एमपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होंगे. खंडेलवाल ने ही अकेले नामांकन दाखिल किया था, जिसके बाद उनका निर्विरोध चुना जाना तय था. हेमंत खंडेलवाल वीडी शर्मा की जगह लेंगे, जो 2020 से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने हुए थे.

नामांकन से एक दिन पहले दावेदारों में दुर्गादास उईके, गजेंद्र पटेल, नरोत्तम मिश्रा और हेमंत खंडेलवाल का नाम सामने आ रहा था. लेकिन धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी थी और नामांकन के दिन सुबह से ही तय माना जाने लगा था कि हेमंत खंडेलवाल ही अकेले नामांकन दाखिल करेंगे ताकि निर्वाचन प्रक्रिया निर्विरोध पूरी की जा सके.

कौन हैं हेमंत खंडेलवाल?

पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक हेमंत खंडेलवाल का निर्वाचन क्षेत्र बैतूल है. अपने पिता विजय कुमार खंडेलवाल के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और सांसद बने. इसके बाद 2013 में बैतूल से विधायक चुने गए और 2018 तक अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद वे 2023 में फिर से विधायक चुने गए.

हेमंत खंडेलवाल संभाल चुके हैं बड़ी जिम्मेदारियां

2007 से 2009 तक सांसद
2013 से 2018 तक बैतूल से विधायक
2014 से 2018 तक भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष
2021 में प्रवासी कार्यकर्ता प्रभारी (पश्चिम बंगाल चुनाव)
2022 में प्रवासी कार्यकर्ता प्रभारी (उत्तर प्रदेश चुनाव)
2023 से विधायक

निष्ठावान कार्यकर्ता और संघ के चहेते

अब सवाल यह है कि रेस में हेमंत खंडेलवाल के अलावा और भी कई नाम चल रहे थे, लेकिन इन सबके बीच हेमंत खंडेलवाल को ही वरीयता क्यों दी गई. हेमंत खंडेलवाल को एमपी बीजेपी की कमान सौंपने के पीछे कई वजहें रही हैं. हेमंत खंडेलवाल बेहद सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के माने जाते हैं. अपने इलाके में वह लोकप्रिय हैं और हमेशा से उनकी छवि एक निष्ठावान कार्यकर्ता की रही है. हालांकि, केवल ये चीजें ही नहीं थीं जो उन्हें एमपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक ले गईं. उनके नाम को लेकर संघ और पार्टी आलाकमान की सहमति भी बड़ी वजह रही. बैतूल से होते हुए वे एमपी के पार्टी प्रमुख की कुर्सी तक पहुंचे हैं, तो इसके पिता की राजनीतिक विरासत का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है.

सीएम मोहन यादव और शिवराज सिंह चौहान की पसंद

हेमंत खंडेलवाल सीएम मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी पहली पसंद बताए जा रहे थे. हेमंत खंडेलवाल लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं और वे भाजपा की रीति-नीति से से बखूबी परिचित हैं. यानि, एक तरह से कहा जाए तो पार्टी ने एमपी बीजेपी की कमान ऐसे हाथों में सौंपने का फैसला किया है जो पार्टी की अनुशासन, परंपरा और नीतियों से अच्छी तरह वाकिफ है.

पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा

प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभालने के बाद हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश में संगठन को और मजबूत करना होगा. पार्टी और सरकार के बीच समन्वय बनाए रखना होगा ताकि टकराव जैसी कोई स्थिति न पैदा हो. एक निष्ठावान कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी के हर कार्य के लिए हमेशा तैयार रहने वाले खंडेलवाल को अब संगठन, कार्यकर्ताओं और जनता के साथ तालमेल बिठाकर रखना होगा.

हेमंत खंडेलवाल अब वीडी शर्मा की जगह लेंगे और यह उनके लिए आसान नहीं होगा. एमपी बीजेपी में ‘शुभंकर’ के नाम से मशहूर वीडी शर्मा के नेतृत्व में पार्टी ने चुनावों में सफलता की नई ऊंचाइयों को छूआ है. ऐसे में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव तो खंडेलवाल पर होगा. अगर खंडेलवाल इसमें कामयाब रहे तो पार्टी अध्यक्ष के तौर पर वे वीडी शर्मा की कतार में जरूर खड़े हो जाएंगे.

प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव 2028 में प्रस्तावित है और ऐसे में खंडेलवाल के सामने अभी तीन साल का वक्त है. लिहाजा, संगठन को और मजबूत करते हुए आगामी चुनाव में पार्टी के जीत के सिलसिले को कायम रखने का दबाव भी उन पर होगा.

वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा का ऐतिहासिक प्रदर्शन

वीडी शर्मा ने 2020 में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कमान संभाली थी. पार्टी ने उनकी अध्यक्षता में सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस का प्रदेश से पूरी तरह सफाया कर दिया. यह वीडी शर्मा के नेतृत्व का ही असर था कि चुनावों में पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश चरम पर रहता, जबकि विपक्षी दल हतोत्साहित नजर आते थे. ऐसे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने वाले हेमंत खंडेलवाल पर उम्मीदों का बोझ बहुत होगा. अब आने वाले समय में देखना होगा कि खंडेलवाल इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं और पार्टी की उम्मीदों पर कितने खरे उतरते हैं.

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