Gwalior: दूध में मिलावट का मामला, हाई कोर्ट ने ग्वालियर समेत 9 कलेक्टर को नोटिस देकर मांगी रिपोर्ट
दूध में मिलावट के मामले में हाई कोर्ट ने 9 जिलों के कलेक्टर को दिया नोटिस
Gwalior News: दूध में मिलावट रोकने को लेकर सरकार के गंभीर न होने से हाई कोर्ट नाराज है. सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद न टेस्टिंग यूनिट दी और न ही जांच मशीन. अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए अंचल के सभी जिला कलेक्टरों और मध्य प्रदेश शासन को नोटिस भेजकर इस मामले को लेकर व्यापक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
हाई कोर्ट ने शासन-प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी
दरअसल दूध में मिलावट इस अंचल की सबसे बड़ी समस्या हैं. जो लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर डाल रही है. इस मामले पर हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ मे चल रही जनहित याचिका में कोर्ट ने मिलावट रोकने के लिए आदेश देकर कुछ दिशा निर्देश जारी किये थे. इनके पालन की रिपोर्ट भी देने को कहा था. लेकिन दूध और उससे बने उत्पादों में मिलावट रोकने को लेकर हाई कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है या नहीं, इसको लेकर अभी तक शासन या प्रशासन द्वारा कोई ठोस जवाब कोर्ट मे पेश नहीं किया जा सका है.
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9 कलेक्टर को दिया नोटिस
इस मामले मे गत वर्ष हाई कोर्ट ने मोबाइल वैन टेस्टिंग यूनिट के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मिल्क एडल्ट्रेशन टेस्टिंग मशीन खरीदने के आदेश दिए थे. अब तक कितनी मशीन खरीदी गईं, इसको लेकर भी कोई ठोस जानकारी हाई कोर्ट को नहीं दी जा सकी. इस मामले की बीते रोज हुई सुनवाई में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने शासन सहित अंचल के सभी 9 जिलों के कलेक्टर को इस मामले में स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. रिपोर्ट में सभी को हाई कोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई की जानकारी शपथ पत्र पर देनी है.
हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
हर जिले के एंट्री-एग्जिट प्वाइंट पर चेकिंग होना चाहिए. प्रत्येक जिले में पर्याप्त संख्या में मोबाइल वैन टेस्टिंग यूनिट और इलेक्ट्रॉनिक मिल्क एडल्ट्रेशन टेस्टिंग मशीन खरीद कर दी जाएं. राज्य भर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएं. जिसमें आधुनिक मशीनें लगी हों. प्रशासन द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए सतत जागरूकता अभियान चलाया जाए.