ग्‍वालियर में नगर निगम अफसरों और विज्ञापन कंपनी की मिलीभगत से लाखों की हेराफेरी, EOW ने 5 पर दर्ज की FIR

MP News: आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस मामले में नगर निगम के चार वरिष्ठ अफसरों सहित विज्ञापन कंपनी के संचालक पर एफआईआर दर्ज की है.
Scam in the name of advertising on toilets

शौचालयों पर विज्ञापन लगाने के नाम पर घोटाला

MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम में विज्ञापन ठेके को लेकर हुई बड़ी अनियमितताओं का मामला सामने आया है. आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस मामले में नगर निगम के चार वरिष्ठ अफसरों सहित विज्ञापन कंपनी के संचालक पर एफआईआर दर्ज की है. आरोप है कि इन अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार कर सुलभ शौचालयों में विज्ञापनों के ठेके में हेराफेरी की, जिससे निगम को करीब 54 लाख रुपए का नुकसान हुआ.

सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन का घोटाला

मामले की जांच में सामने आया कि वर्ष 2017 में नगर निगम ने शहर के 48 सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन लगाने के लिए टेंडर जारी किया था, जिसे दीपक एडवरटाइजर्स नाम की फर्म को सौंपा गया. निगम की ओर से तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी और फर्म संचालक दीपक जेठवानी के बीच अनुबंध हुआ था. जांच में पाया गया कि इस अनुबंध की कई शर्तें मनमाने ढंग से बदली गईं, जिनका उल्लेख मेयर-इन-काउंसिल की मंजूरी में नहीं था. बदली गई इन शर्तों के कारण फर्म को अनुचित लाभ पहुंचा और नगर निगम को भारी आर्थिक क्षति हुई.

EOW की रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन की वास्तविक देय राशि करीब 72 लाख रुपए थी, लेकिन गलत गणना और नियमों के उल्लंघन से इसे कम बताया गया. इस वित्तीय गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए EOW ने कार्रवाई शुरू की और कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया.

इन लोगों पर दर्ज की गई एफआईआर

मामले में जिन पर एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव और देवेंद्र पालिया, अधीक्षण यंत्री जेपी पारा, उपायुक्त सुनील सिंह चौहान, सहायक नोडल अधिकारी शशिकांत शुक्ला, सहायक लिपिक मदन पालिया, आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र शर्मा और दीपक एडवरटाइजर्स के मालिक दीपक जेठवानी शामिल हैं. हालांकि, तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी के निधन के कारण उन्हें आरोपों से मुक्त रखा गया है.

सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 409, 467, 468, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराएं 7(ए), 13(1)(क) सहपठित धारा 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. फिलहाल ईओडब्ल्यू मामले की विस्तृत जांच में जुटी है और पूरे घोटाले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.

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