MP News: RSS का भोपाल में शिविर, कार्यकर्ताओं को 20 दिन पढ़ाया जाएगा राष्ट्रवाद का पाठ, 382 स्वयंसेवक हुए हैं शामिल
MP News: भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ(आरएसएस ) के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ का आयोजन भोपाल के शारदा विहार परिसर में प्रारंभ हो गया है. वर्ग के उद्घाटन में क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी ने कहा कि संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है. समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे निष्ठावान लोग खड़े होने चाहिए, जिनको देखकर अन्य लोग सीख लें. इसलिए हम कह सकते हैं कि संघ का सबसे बड़ा कार्य ‘समाज में उदाहरण खड़े करना है’. इस अवसर पर मंच पर वर्ग के सर्वाधिकारी सोमकांत उमालकर भी उपस्थित थे. कार्यकर्ता विकास वर्ग में छत्तीसगढ़, महाकौशल, मालवा और मध्यभारत के कुल 382 स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करने आए हैं. 20 दिवसीय वर्ग में स्वयंसेवक सुबह 4:30 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए संघ कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे.
‘त्याग और समर्पण की भावना के साथ हम राष्ट्रीय कार्य में जुड़ते हैं’
शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए क्षेत्र प्रचारक कुलकर्णी ने कहा कि देशभक्ति, त्याग और समर्पण की भावना के साथ हम राष्ट्रीय कार्य में जुड़ते हैं. इस कार्य को करने की कुशलता प्राप्त करने के लिए संघ की ओर से वर्गों का आयोजन करने की परंपरा है. सही अर्थों में कुशलता का नाम ही वर्ग है. संघ के वर्ग में कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण औपचारिक एवं अनौपचारिक ढंग से होता है. हम यहां के पाठ्यक्रम के साथ ही एक-दूसरे से भी सीखते हैं. प्रशिक्षण प्राप्त करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह प्रशिक्षण स्वयं के व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में संघ कार्य विस्तार के लिए उपयोगी है.
‘देश में ऐसी ताकतें सक्रिय जो समाज को विखंडित करने में जुटी हैं’
क्षेत्र प्रचारक कुलकर्णी ने कहा कि यह प्रशिक्षण वर्ग देश के लिए अपना समय, धन और मन देकर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का है. वर्ग में कार्यकर्ता हिन्दू समाज को मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने और सज्जन शक्ति को राष्ट्रीय कार्य में साथ लेने का कौशल सीखते हैं. उन्होंने कहा कि आज देश में ऐसी ताकतें सक्रिय हैं, जो हिन्दू समाज को विखंडित करने के प्रयास में लगी हुई हैं. वह हमें जाति, पंथ, स्त्री-पुरुष जैसे भेदों में बांटने के लिए वैचारिक भ्रम उत्पन्न करते हैं. उन्होंने कहा कि विविधता हमारी कमजोरी नहीं बल्कि हमारी विशेषता रही है, लेकिन परंतु औपनिवेशिक ताकतों ने हमारे बीच विविधता को आधार बनाकर द्वेष और भेद उत्पन्न करने के षड्यंत्र रच रहे हैं. हमें इन षड्यंत्रों के प्रति जागरूक होना है और अपने समाज को भी जागरूक करना हैं.
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‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’ के नाम से है पहला वर्ग
कुलकर्णी ने कहा कि संघ के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के समय से कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए संघ शिक्षा वर्ग आयोजित करने की परंपरा शुरू हुई. अब तक यह ‘संघ शिक्षा वर्ग-द्वितीय वर्ष’ के नाम से आयोजित होता था लेकिन अब यह ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ के नाम से आयोजित होगा. उन्होंने 1940 में नागपुर में आयोजित ऐतिहासिक संघ शिक्षा वर्ग का भी उल्लेख किया, जिसमें पहली बार संपूर्ण भारत से स्वयंसेवक प्रशिक्षण के लिए शामिल हुए थे. संघ में जिला स्तर पर आयोजित सात दिन के प्रशिक्षण वर्ग को ‘प्राथमिक वर्ग’, प्रांत स्तर पर आयोजित 15 दिन के प्रशिक्षण वर्ग को ‘संघ शिक्षा वर्ग’, क्षेत्र स्तर पर आयोजित 20 दिन के वर्ग को ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ और नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय स्तर के वर्ग को ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कहते हैं.
4 प्रांतों के 382 स्वयंसेवक ले रहे प्रशिक्षण
संघ की रचना में मध्य क्षेत्र में चार प्रांत छत्तीसगढ़, महाकौशल, मालवा और मध्यभारत हैं. इन चारों प्रांतों से कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 में कुल 382 शिक्षार्थी आए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ से 78, महाकौशल से 85, मालवा से 118 और मध्यभारत से 97 चयनित स्वयंसेवक शामिल हैं. वर्ग के संचालन के लिए 19 अधिकारियों की संचालन टोली है, जिसमें सर्वाधिकारी के अलावा वर्ग पालक अशोक पोरवाल और वर्ग कार्यवाह बलवंत राव आदी शामिल हैं. इसके साथ ही शिक्षार्थियों के प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक प्रांत से शिक्षक भी आए हैं. विभिन्न विषयों पर अखिल भारतीय, क्षेत्रीय और प्रांतीय अधिकारी भी शिक्षार्थियों का प्रबोधन करेंगे.
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समर्पित कार्यकर्ताओं के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन
संघ कार्य में अपना जीवन समर्पित करनेवाले कार्यकर्ताओं के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी ‘तेजोमय प्रतिबिम्ब तुम्हारे…’ का आयोजन भी किया गया है. क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी और सर्वाधिकारी सोमकांत उमालकर सहित अन्य अतिथियों ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. यहां भारतीय ज्ञान के स्रोत सद्ग्रंथों को भी प्रदर्शित किया गया है, जिनमें चारों वेद, पुराण, स्मृतियां, संहिताओं सहित रामायण एवं महाभारत शामिल है.