इंदौर-बुधनी रेल लाइन के विरोध में 40 दिनों से धरने पर बैठे किसान, आरोप- करोड़ों की उपजाऊ जमीन 5-6 लाख में अधिग्रहित की जा रही
इंदौर-बुधनी रेललाइन के विरोध में किसानों का प्रदर्शन
MP News: देवास जिले के कन्नोद में अन्नदाता यानी किसान 40 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. किसान इंदौर- बुधनी रेल लाइन परियोजना के लिए हो रहे जमीन अधिग्रहण के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. किसान की भूमि रेल लाइन की जद में आ रही है. 8 गांव के 16 किलोमीटर के एरिया में होने वाले रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं. यह 16 किलोमीटर का दायरा धनतलाव घाट से कलवार घाट तक का है. इसी 16 किलोमीटर रेल लाइन का विरोध किसान कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इन 8 गांव के 3000 से ज्यादा किसान परिवार प्रभावित है जिनका उपजाऊ खेती की जमीन और मकान रेलवे रेल लाइन के लिए अधिग्रहित कर रहा है लेकिन किसान अपनी जमीन और मकान को देना नहीं चाहते हैं.
दूसरे सर्वे ने बिगाड़े हालात
किसानों का कहना है कि रेलवे इस रेल लाइन का रूट डायवर्ट करें और दूसरी जगह से रेल लाइन का नेटवर्क तैयार करें. पीड़ित किसानों का कहना है कि किसानों की जमीन और मकान को तोड़कर रेलवे लाइन न बिछाई जाए बल्कि शासकीय जमीन खाली जमीन और जंगल की जमीन होते हुए रेलवे लाइन गुजर सकती है. इसके बावजूद किसानों को जमीन देने के लिए जबरन जोर-जबरदस्ती किया जा रहा है. इस रेल लाइन के लिए रेलवे ने जो पहले सर्वे किया था, उसमें किसने की जमीन और घर जद नहीं आ रहे थे लेकिन चूंकि रेलवे को पहले वाले सर्वे में लागत ज्यादा पड़ रही थी इसलिए बाद में रेलवे ने दूसरा सर्वे किया और इस बार रेलवे लाइन गांव की कृषि भूमि और किसानों के घर से होकर गुजर रही है, जिसका किसान पुरजोर विरोध कर रहे हैं.
करोड़ों की जमीन के लिए 5-6 लाख रुपये
किसान भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. घर की महिलाएं भी धरना दे रही हैं. अपनी समस्या बताते-बताते किसान रो पड़ रहे हैं. किसानों का दुख दर्द दिखाने और उनकी समस्या को समझने हमारे सहयोगी अनमोल तिवारी राजधानी भोपाल से 150 किलोमीटर दूर देवास जिले के कलवार गांव पहुंचे. जहां किसान 40 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. किसानों ने बातचीत में बताया कि उनकी दो ही प्रमुख मांगे हैं जो अभी रेल लाइन प्रस्तावित है रेलवे की तरफ से उसको डायवर्ट किया जाए और उनके खेतों को बचाया जाए. उनके घर को बचाया जाए, बहुत से ऐसे किसान हैं, जिनके पास चार से पांच एकड़ खेत है और उनको रेलवे अधिग्रहित करने का नोटिस दे चुका है. जिसके बाद वह परेशान है रो रहे हैं, बिलख रहे हैं. बहुत से ऐसे भी किसान है, जिन्होंने बहुत मेहनत से एक घर बनाया है. जिसको अब रेलवे अधिग्रहित करने के लिए नोटिस दिया है.
किसानों का कहना है या तो रेलवे रूट डायवर्ट करें या तो जमीन के बदले इसी इलाके में उन्हें खेती करने लायक जमीन दें. लेकिन रेलवे ने अब तक किसानों की मांग स्वीकार नहीं की है और हाईवे से सटे करोड़ों रुपए एकड़ की जमीनों को चार-पांच लाख रुपये एकड़ देकर अधिग्रहित कर रहा है. जिससे किसान नाराज है और रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों की तीन प्रमुख मांग
- प्रस्तावित रेल लाइन का रूट डायवर्ट किया जाए
2. खेतीहर जमीन के बदले खेतीहर जमीन दिया जाए
3. मुआवजा देना ही है तो गाइडलाइन के अनुसार दी जाए
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किसानों का कहना है कि उनके द्वारा मना किए जाने के बाद भी स्थानीय प्रशासन बलपूर्वक जमीन अधिग्रहण का काम कर रहा है. धरना प्रदर्शन पर बैठे किसानों की समस्या ना तो स्थानीय प्रशासन सुन रहा है या न ही रेलवे सुन रही है. यहां तक की किसानों को घर खाली करने और जमीन छोड़ने का नोटिस भी मिल चुका है. किसानों का आरोप है कि जोर-जबरदस्ती से प्रशासन ने उनके अकाउंट में जमीन अधिग्रहण के पैसे भी डाल दिए हैं, जबकि उन्होंने मुआवजे को स्वीकार ही नहीं किया है.
40 दिनों से किसानों ने प्रदर्शन जारी
कन्नोद तहसील के ग्राम कलवार में पिछले 40 दिनों से रेलवे जमीन अधिग्रहण पीड़ित किसानों का धरना जारी है. किसान कलवार में रेल रूट डायवर्ट की मांग कर रहे है. किसानों का कहना है कि उपजाऊ भूमि के बजाय शासकीय भूमि से रेलवे लाइन निकाली जाए. शासन की गाइडलाइन के अनुसार रेलवे में अधिग्रहण की जाने वाली भूमियों का चार गुना मुआवजा राशि देने का प्रावधान है लेकिन भूमि अधिग्रहण की जा रही लेकिन मुआवजा गाइडलाइन के तहत नहीं दिया जा रहा है.
इंदौर-बुधनी रेललाइन के विरोध में 40 दिनों से धरने पर बैठे किसान, आरोप- उपजाऊ जमीन पर हो रहा निर्माण कार्य, करोड़ों की भूमि 5-6 लाख में अधिग्रहित की जा रही