‘द गोलकोंडा ब्लू’ की जिनेवा में होगी नीलामी, कीमत 430 करोड़ रुपये आंकी गई, इंदौर के होलकर राजघराने से है खास कनेक्शन

The Golconda Blue: 'द गोलकुंडा ब्लू' हीरे की नीलामी 14 मई को स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में क्रिस्टीज (Christie’s) नाम की नीलामी कंपनी करेगी. इसकी कीमत 430 करोड़ रुपये यानी 35 से 40 मिलियन डॉलर आंकी गई है
The Golconda Blue Diamond up for auction, priced at Rs 430 crore

'द गोलकुंडा ब्लू' डायमंड की नीलामी के लिए कीमत 430 करोड़ आंकी गई

The Golconda Blue: हीरे की चमक कुछ ऐसी होती है कि हर कोई उसकी ओर खिंचा चला आता है. जब बात गोलकुंडा खान (Golcunda Mines) से निकलने वाले हीरे की जाए तो क्या कहना? तेलंगाना (Telangana) में स्थित इस हीरे की खदान ने कई नायब हीरे दिये हैं. इनमें कोहिनूर, दरिया-ए-नूर, नूर-उल-ऐन हीरा, होप डायमंड और रीजेंट डायमंड जैसे हीरे हैं. इन्हीं में से एक है ‘द गोलकुंडा ब्लू’ (The Golconda Blue). इस हीरे की जल्द ही जिनेवा में नीलामी होने वाली है.

430 करोड़ रुपये आंकी गई कीमत

‘द गोलकुंडा ब्लू’ हीरे की नीलामी 14 मई को स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में क्रिस्टीज (Christie’s) नाम की नीलामी कंपनी करेगी. इसकी कीमत 430 करोड़ रुपये यानी 35 से 40 मिलियन डॉलर आंकी गई है. क्रिस्टीज का कहना है कि ऐसे शाही और खास बहुत कम नीलामी में बिकने के लिए आते हैं.

हीरे क्यों है इतना खास?

यह हीरा अपने कलर और संरचना के कारण सबसे अलग है. इसका नीला रंग इसे सबसे अलग बनाता है. इसमें बोरॉन की मात्रा अधिक होने कारण इसका ब्लू कलर है. यह 23.24 कैरेट का हीरा है. इसे खदान से निकालने के बाद जब इसे तराशा गया, तब से ऐसा ही है. भारत के होलकर और बड़ौदा राजघरानों से होता हुआ, ये फ्रांस पहुंचा जहां मशहूर ज्वेलरी डिजाइनर जार ने इसे अंगूठी में जड़ा. नाशपाती के आकार का है.

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होलकर राजघराने से है खास कनेक्शन

क्रिस्टीज के मुताबिक यह हीरा इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर के पास था. महाराजा यशवंत राव होलकर साल 1920-30 के दशक में अपनी लक्जरी और इंटरनेशनल लाइफस्टाइल के लिए जाने जाते थे. उनके पिता पेरिस के फेमस ज्वेलरी ब्रांड शॉमेट से इंदौर पियर्स हीरे खरीदे थे. साल 1923 में उन्होंने शॉमेट से अपने 23 कैरेट के नाशपाती के आकार वाले ब्लू डायमंड को जड़वाकर एक ब्रेसलेट बनवाया था.

साल 1933 में महाराजा यशवंत राव ने मॉबूसेन को अपना आधिकारिक जौहरी नियुक्त किया. मॉबूसेन ने उनके गहनों को नए डिजाइन में ढाला. उसने एक लंबा हार बनाया, जिसमें ‘द गोलकोंडा ब्लू’ और इंदौर पियर्स दोनों शामिल थे.

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