‘लाइट्स बंद कीजिए, अंधेरे में होगी सुनवाई…’, एमपी हाई कोर्ट में 13 मिनट बिना बिजली चली सुनवाई, जानें क्या है मामला

Indore News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में NEET-UG की दोबारा परीक्षा कराने को लेकर सुनवाई हुई. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कोर्ट रूम की लाइट्स बंद करवाकर सुनवाई की.
Madhya Pradesh High Court, Indore Bench (file photo)

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, इंदौर खंडपीठ (फाइल तस्वीर)

Indore News: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency) ने 4 मई 2025 को नीट-यूजी (NEET-UG) की परीक्षा आयोजित की. मध्य प्रदेश के इंदौर में भी परीक्षा आयोजन किया गया. परीक्षा वाले दिन इंदौर में आंधी-बारिश की वजह से कई इलाकों की बिजली गुल हो गई. इससे परीक्षार्थियों को एग्जाम देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस कारण 75 छात्रों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने को लेकर याचिका दाखिल की. सोमवार यानी 23 जून को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने इस मामले की 13 मिनट तक बिना बिजली के सुनवाई की.

‘अंधेरे में पढ़ाई करना मुश्किल तो एग्जाम कैसे संभव’

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सोमवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील पेश की गई कि परीक्षा के दौरान एग्जाम सेंटर्स पर पावर बैकअप की व्यवस्था नहीं थी. आंधी की वजह से खिड़कियों को बंद कर दिया गया था. इस वजह से और ज्यादा अंधेरा हो गया था. अंधेरे में पढ़ना मुश्किल है तो छात्रों ने परीक्षा कैसे दी होगी? वहीं NTA ने इस याचिका विरोध किया है.

13 मिनट तक अंधेरे में चली सुनवाई

NTA की ओर से वकील तुषार मेहता ने वर्चुअली दलील पेश की. दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिका को खारिज करने के लिए कहा. याचिका के बारे में तुषार मेहता ने कहा कि जिन परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल हुई, वहां के परीक्षार्थियों ने परीक्षा पास की है और इंदौर से टॉपर भी मिले हैं. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम की लाइट्स बंद करा दीं. इसके बाद 13 मिनट तक जस्टिस ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी. हम यह देखना चाहते हैं कि बिना लाइट के कितनी परेशानी होती है. फैसला सुरक्षित रखने के बाद जस्टिस ने लाइट्स ऑन कराईं.

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30 जून को होगी अगली सुनवाई

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 30 जून को होगी. साथ ही ऐसा संकेत दिया गया है कि जरूरी पाया गया तो दोबारा परीक्षा करवाई जाएगी.

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