MP News: इंदौर का प्रसिद्ध गणेश मंदिर; चिट्ठी वाले गणेश से मोबाइल वाले गणेश का सफर, जहां पूरी होती है भक्तों की अर्जी
MP News: इंदौर जिसे लोग मिनी मुंबई के नाम से भी जानते हैं. इस शहर में अलग-अलग कल्चर और संस्कृति के लोग आकर बसे हुए हैं. मराठी, गुजराती, राजस्थानी के अलावा और भी अलग-अलग क्षेत्र से आकर बसे हुए हैं. इसी कल्चर की झलक इस शहर में हमें देखने को मिलती है. यहां के मंदिरों में भी हमें इसी के दर्शन होते हैं. शहर के अलग-अलग एरिया में भगवान गणेश के मंदिर हैं. इनमें से एक मंदिर है चिंतामन गणेश मंदिर.
ये मंदिर अपने आप में खास और अनोखा है. केवल शहर ही नहीं प्रदेश से लेकर देश और विदेश में इसकी पहचान है. यहां श्रद्धालु केवल दर्शन के लिए नहीं आते बल्कि अपनी चिंता भगवान गणेश को सुनाने आते हैं. जो श्रद्धालु मंदिर तक नहीं पहुंच पाते वो चिट्ठी और कॉल करके भगवान को अपनी चिंता सुनाते हैं. भगवान गणेश इन चिंताओं को सुनते हैं और पूरा करते हैं. ये पूरा दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी समस्याओं या चिंताओं को मोबाइल पर कॉल करके सुनाते हैं जिसका भगवान निदान करते हैं.
1200 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना परमार काल में की गई थी. किस राजा ने इस मंदिर की स्थापना की इसकी सटीक जानकारी नहीं मिलती है. कई सालों बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार होलकर रानी देवी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था. चिंतामन गणेश मंदिर में देवी अहिल्याबाई विशेष पूजा-अर्चना करने के लिए आया करती थीं.
श्रद्धालुओं की मुराद पूरी करते हैं
चिंतामन गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती है. ऐसा माना जाता है कि भक्त यहां केवल दर्शन करने ही नहीं बल्कि अपनी चिंताओं और समस्याओं को सुलझाने आते हैं. यहां श्रद्धालु भगवान गणेश को अपनी समस्या या चिंता सुनाते हैं. श्रद्धालु इन समस्या या चिंता को सीधे भगवान के सामने या चिट्ठी या मोबाइल पर कॉल करके सुनाते हैं. जब उनकी चिंता का निराकरण हो जाता है तो धन्यवाद देने आते हैं.
जब चिंतामन गणेश बने चिट्ठी वाले गणेश जी
चितांमन का अर्थ होता है इच्छा, कामनाओं और चिंता को सुनने और सुलझाने वाला. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि भगवान गणेश भक्तों की चिंता को सुनते हैं. 80 के दशक में इस मंदिर में पहली चिट्ठी धार जिले से आई थी. जिस पर मंदिर के पुजारी ने ध्यान नहीं दिया. इसके बाद चिट्ठी भेजने वाले शख्स की मनोकामना पूरी हुई तो उसने धन्यवाद वाली चिट्ठी भेजी. जब धन्यवाद वाली चिट्ठी पुजारी ने पढ़ी तो उन्हें इस बात का पता चला कि चिंतामन गणेश मनोकामना चिट्ठी से पूरी करते हैं.
इसके बाद चिंतामन गणेश को चिट्ठी वाले गणेश के नाम से जाना जाने लगा. एमपी के अलग-अलग शहरों के अलावा विदेश से भी यहां चिट्ठी आने लगी. ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, यूके और कनाडा जैसे देशों से यहां चिट्ठी आने लगी.
दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां भगवान मोबाइल से सुनते हैं समस्या
पहले जहां मंदिर में समस्या और चिंताओं को हल करने के लिए चिट्ठी भेजी जाती थी. अब श्रद्धालुओं ने तकनीक को अपना लिया है. चिट्ठी की जगह श्रद्धालु मोबाइल पर कॉल करके समस्या सुनाते हैं. साल 2005 में मोबाइल पर कॉल करके समस्या सुनाने की शुरुआत हुई थी. कभी-कभी 400 से ज्यादा कॉल आ जाते हैं. ये कॉल विदेश से भी आते हैं.
जब श्रद्धालु कॉल करते हैं तो पुजारी मोबाइल को भगवान गणेश के कान के पास लगा देते हैं ताकि वे समस्या को सुन सकें. जब मुराद पूरी हो जाती है तो श्रद्धालु धन्यवाद देने आता है. टेक्नोलॉजी के समय में हर कोई अपडेट हो रहा है. इसी कारण पहले चिट्ठी फिर मोबाइल पर कॉल अब लोग वीडियो कॉल करके अपनी मनोकामना जाहिर करते हैं.
गणेशोत्सव के समय उमड़ती है भक्तों की भीड़
गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी, 10 दिनों तक मनाए जाने वाले गणेशोत्सव में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. चिंतामन गणेश का विशेष श्रृंगार किया जाता है. दूसरे त्योहारों के अवसर पर भी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं.
औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया इस मंदिर को
मुगल राज में अनेक मंदिरों को तोड़ा गया. औरंगजेब जिसे बुतशिकन या मूर्ति को तोड़ने वाला राजा के नाम से कुख्यात था. औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की. चिंतामन गणेश मंदिर का निर्माण सैंड स्टोन से किया गया है. इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश में केवल गर्भगृह की चौखट का कोना ही तोड़ पाया. ऐसी मान्यता है कि भगवान के चमत्कार के बाद औरंगजेब बिना मंदिर तोड़े वापस लौट गया.