जमानत के लिए आपराधिक रिकॉर्ड बताना जरूरी- SC के आदेश पर हाई कोर्ट ने प्रारूप जारी किया; 1 मई से शुरू होगी नई व्यवस्था
जबलपुर हाईकोर्ट
Jabalpur High Court: देशभर में जमानत को लेकर नया प्रारूप शुरू होने वाला है. अब अग्रिम जमानत, डिफॉल्ट जमानत, अंतरिम जमानत समेत व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मांग करने वाले आरोपियों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना जरूरी होगा. आरोपियों को अपने ऊपर दर्ज सभी मुकदमों की जानकारी देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जबलपुर हाईकोर्ट ने भी नया प्रारूप जारी कर दिया है, जो कि एक मई से लागू होगा.
मुन्नेश केस में SC ने दिया था आदेश
मुन्नेश बनाम मध्य प्रदेश प्रकरण में यह बात सामने आई थी कि आवेदक ने अपने खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी नहीं दी थी. जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि आवेदक के खिलाफ 8 मामले दर्ज थे. जिसके बाद सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले के साथ ही देशभर की अदालतों को आदेश दिया कि जमानत अर्जी से पहले आवेदक को सभी आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी देनी होगी.
इन मामलों में जानकारी देना जरूरी होगा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक SC/ST एक्ट की धारा 14 क तहत जमानत अर्जी, सजा का निलंबन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ी अन्य कानूनी मांगों में सभी आपराधिक जानकारी देना जरूरी होगा. इसके अलावा मध्य प्रदेश की सभी बेंचों (जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर) में एक अक्टूबर 2017 से लंबित मामलों में भी यह जानकारी जरूरी होगी.