MP News: पराली जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश बना देश का नया हॉटस्पॉट, पंजाब के बाद दूसरे स्थान पर
पराली जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश बना देश का नया हॉटस्पॉट
MP News: मध्य प्रदेश तेजी से एक अनचाहे रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है. मौजूदा रफ्तार यही बताती है कि राज्य जल्द ही पराली जलाने के मामलों में पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ सकता है. केवल 11 नवंबर को ही प्रदेश के एक हजार से अधिक खेतों में धान की पराली जलाने के मामले सामने आए, जो उस दिन पूरे देश में सबसे ज्यादा थे.
सीआरईएएमएस की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह जानकारी सीआरईएएमएस (कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस) की रिपोर्ट से सामने आई है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली ने तैयार किया है. रिपोर्ट के अनुसार, 15 सितंबर से 11 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में 3,569 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पंजाब में यह संख्या 4,507 रही. उत्तर प्रदेश में 2,224, राजस्थान में 1,577 और हरियाणा में 435 मामलों की पुष्टि हुई है.
प्रदेश में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले
चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मामले पिछले सात दिनों में दर्ज हुए हैं. प्रदेश की कुल घटनाओं में से 2,947 मामले केवल 4 नवंबर के बाद सामने आए, जबकि उस दिन यह संख्या महज 622 थी. 5 नवंबर से लगातार मध्य प्रदेश देश में पराली जलाने के मामलों में शीर्ष पर बना हुआ है. केवल 9 नवंबर को पंजाब ने थोड़े समय के लिए इसे पीछे छोड़ा था.
आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 नवंबर को 131, 6 नवंबर को 354, 7 नवंबर को 237, 8 नवंबर को 353, 9 नवंबर को 398, 10 नवंबर को 422 और 11 नवंबर को 1,052 घटनाएं दर्ज की गईं. यह संख्या उस दिन देश भर में हुई कुल कृषि आग की घटनाओं का लगभग एक-तिहाई थी.
धान की कटाई मुख्य वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह मध्य प्रदेश में धान की कटाई में देरी है. जहां पंजाब और हरियाणा में कटाई अक्टूबर के अंत तक पूरी हो जाती है, वहीं एमपी में यह नवंबर के मध्य तक जारी रहती है. नतीजतन, यहां पराली जलाने का सिलसिला उसी समय शुरू होता है जब उत्तरी राज्यों में यह घटने लगता है.
प्रदेश के ये जिले बने प्रमुख हॉटस्पॉट
नर्मदापुरम, सिवनी, गुना, अशोकनगर और दतिया जिले पराली जलाने के प्रमुख हॉटस्पॉट बनकर उभरे हैं. पिछले वर्ष भी मध्य प्रदेश इस मामले में देश के शीर्ष पर रहा था, जब 15 सितंबर से 22 नवंबर के बीच 13,309 घटनाएं दर्ज की गई थीं. हालांकि प्रशासन ने इस बार कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है.
छिंदवाड़ा और सागर में पराली जलाने के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि रीवा में ऐसे मामलों पर 15,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने की घोषणा हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सख्त प्रतिबंधों के साथ किसानों को विकल्प और सहायता नहीं दी जाती, तब तक मध्य प्रदेश एक बार फिर देश में पराली जलाने वाला सबसे बड़ा राज्य बन सकता है.