पूर्व PM के निधन पर भावुक हुए Shivraj Singh, बताया कैसे एक फोन कर Manmohan Singh ने तुड़वा दिया था उनका अनशन
पूर्व PM मनमोहन के साथ शिवराज सिंह
Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Former PM Manmohan Singh) का देहांत हो गया है. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. राजनेताओं से लेकर बड़ी हस्तियां उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रही हैं. इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि देने के दौरान भावुक हो गए.
भावुक हुए शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व PM मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान वह भावुक हो गएय उन्होंने कहा-‘अर्थशास्त्र के उद्भट विद्वान, आर्थिक सुधारों के महानायक डॉ. मनमोहन सिंह जी मौन हो गए. उनके जाने से आर्थिक सुधारों के एक युग का अंत हो गया. उनके आर्थिक सुधारों ने देश के विकास को एक नई दिशा और गति दी थी.’ मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि वे अत्यंत विनम्र, सरल स्वभाव के थे.
बताया किस्सा, जब मनमोहन सिंह ने फोन कर तुड़वा दिया था उनका अनशन
शिवराज सिंह चौहान ने एक किस्सा याद करते हुए बताया कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और वह (शिवराज सिंह) मुख्यमंत्री थे तब उन्हें उनके सानिध्य में रहने का सौभाग्य मिला था. शिवराज सिंह ने बताया- ‘एक बार मध्य प्रदेश में पाले के कारण फसलों का व्यापक नुकसान हो गया और जब हमने भारत सरकार से किसानों की सहायता का आग्रह किया तो हमें कहा गया कि पाला प्राकृतिक आपदा में आता ही नहीं है इसलिए राहत राशि नहीं मिलेगी.’
उन्होंने आगे बताया- ‘यह सुन मैं बेचैन हो गया और किसानों के साथ उपवास पर बैठ गया. तब डॉ. साहब का फोन आया और उन्होंने कहा कि आप ऐसा मत करिए, हम हल निकालते हैं. मनमोहन जी ने एक कमेटी बनाई जिसमें दादा प्रणब मुखर्जी जी, शरद पवार और पी. चिदंबरम के साथ मुझे भी रखा. बाद में कमेटी ने वैज्ञानिक आकलन कर कहा कि पाला प्राकृतिक आपदा है.’
कई विषयों पर मिला मार्गदर्शन
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया-‘वे अत्यंत विनम्र, सहज और सरल थे. मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे कई विषयों पर सदैव उनका मार्गदर्शन मिला. डॉ. साहब शुचितापूर्ण राजनीति के पर्याय थे. 90 के दशक में उनकी उदारीकरण की नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं.
‘डॉ. साहब का व्यक्तित्व विजनरी था. मेरे मन में सदैव उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान रहा. एक बार वॉशिंगटन दौरे पर एक पत्रकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जी को ‘अंडर अचीवर’ कहा तो मैंने तुरंत प्रतिकार किया और सम्मान पूर्वक कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कभी अंडर अचीवर नहीं हो सकते.’