राजा राम मोहन राय को लेकर MP के शिक्षा मंत्री का विवादित बयान, अब मंत्री इंदर सिंह परमार ने मांगी माफी

MP News: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने राजा राममोहन राय को लेकर एक विवादित बयान दिया है, जिसको लेकर जमकर विरोध शुरू हो गया. इसके बाद अब शिक्षा मंत्री ने सफाई देते हुए माफी मांगी है.
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MP के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह बयान का विवादित बयान

MP News: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को लेकर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने बिरसा मुंडी की 150वीं जयंती पर आगर-मालवा जिले में आयोजित कार्यक्रम में राजा राम मोहन राय को फर्जी समाज सुधारक बताया था. इस बयान को लेकर हर जगह चर्चा होने लगी. वहीं, कांग्रेस ने सरकार पर निशाना भी साधा. इस विरोध के बाद अब खुद मंत्री इंदर सिंह परमार ने वीडियो जारी कर माफी मांगी है.

शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का विवादित बयान

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर 15 नवंबर को देशभर में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस मौके पर मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में भी समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार पहुंचे. उन्होंने अपने संबोधन में समाजसेवक राजा राममोहन राय को ‘अंग्रेजों का दलाल’ कह दिया.

मंत्री इंदर सिंह परमार ने मांगी माफी

समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को लेकर दिए गए विवादित बयान पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में वह सफाई देते हुए माफी मांग रहे हैं. उन्होंने कहा- ‘मेरे मुंह से निकले शब्दों के लिए प्रायश्चित करता हूं. गलती से निकले शब्दों पर मुझे दुख है.’

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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने साधा निशाना

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के इस बयान पर MP विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- ‘मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा राजा राममोहन राय जैसे महान समाज-सुधारक को “अंग्रेजों का दलाल” कहना सिर्फ अज्ञान नहीं, बल्कि देश के महान नायकों का घोर अपमान और बौद्धिक दिवालियापन है. भाजपा–RSS की यही पुरानी साजिश है अपने विचारधारा-सेवा करने वालों को इतिहास के केंद्र में लाना और वास्तविक राष्ट्रनिर्माताओं को बदनाम करना. जनता के आक्रोश के बाद मंत्रीजी ने भले ही माफी मांग ली हो, लेकिन सवाल यह है— क्या सांप्रदायिक मानसिकता सिर्फ एक माफी से बदल जाती है? क्या इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वाली सोच किसी मंत्री के पद पर रहते हुए स्वीकार्य है? जब एक मंत्री अपने पद पर रहते हुए ऐसे गैरजिम्मेदार, विभाजनकारी और शर्मनाक बयान देता है, तो यह सिर्फ उसकी नहीं, पूरी सरकार की सोच, चरित्र और दिशा का आईना होता है. कांग्रेस पार्टी ऐसे अपमान, ऐसी मानसिकता और इतिहास-विद्वेष को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी.’

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