MP News: सड़कों से 40 लाख गायों को हटाने के लिए एमपी सरकार ने बनाई नई योजना, गोपालक को मिलेगा पैसा कमाने का मौका
सांकेतिक तस्वीर
MP News: मध्य प्रदेश में हाईवे पर घूम रही गायें लगातार सड़क हादसों का कारण बन रही हैं. गाय हाईवे गली-मोहल्लों में भी घूमती नजर आती रहती है. हालही में राजगढ़ जिले में तेज रफ्तार वाहनों से कई गायों की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. वहीं छतरपुर में भी ऐसी ही घटना में एक व्यक्ति की जान चली गई. इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं और यह स्थिति ड्राइवरों के साथ-साथ आम लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में करीब 40 लाख गायें सड़कों पर भटक रही हैं, जिनमें दुधारू और निराश्रित दोनों शामिल हैं. इनसे बढ़ते हादसों को रोकने के लिए सरकार ने “कामधेनु निवास योजना” शुरू की है.
इस योजना के तहत प्रत्येक जिले में स्वावलंबी गोशालाओं की स्थापना की जाएगी. हर गोशाला में 5000 गायों को रखने की व्यवस्था होगी और इनमें से 30% गायें उन्नत दुधारू नस्ल की होंगी. इसके लिए 125 एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध कराई जाएगी. गोपालक संस्थाओं को गोशाला निर्माण की जिम्मेदारी दी जाएगी. साथ ही, गायों के रखरखाव के लिए प्रति गाय प्रतिदिन 40 रुपये का अनुदान भी मिलेगा.
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कैबिनेट ने दी आधुनिक स्वावलंबी गोशालाओं को मंजूरी
मध्य प्रदेश सरकार ने 8 अप्रैल 2025 को स्वावलंबी गोशाला नीति को मंजूरी देकर प्रदेशभर में आधुनिक गोशालाएं स्थापित करने का रास्ता साफ कर दिया था. इस योजना को ‘कामधेनु निवास’ नाम दिया गया है. नई व्यवस्था के तहत हर जिले में कम से कम एक आधुनिक गोशाला बनाई जाएगी. जहां निराश्रित गोवंश की संख्या अधिक होगी, वहां एक से ज्यादा गोशालाएं भी खोली जा सकती हैं.
नीति के अनुसार, हर गोशाला में न्यूनतम 5000 गायों को रखना अनिवार्य होगा. इनमें से 30% हिस्सा उन्नत दुधारू नस्ल की भारतीय गायों का होगा. विदेशी नस्ल की गायें और भैंसें रखने पर प्रतिबंध रहेगा. सरकार का उद्देश्य भारतीय नस्ल की गायों को संरक्षित करना और उनका संवर्धन करना है.
125 एकड़ जमीन और सुविधाओं का बंटवारा
गोशालाओं के संचालन के लिए सरकार 125 एकड़ जमीन यूजर राइट के आधार पर देगी. यदि किसी गोशाला में 1000 अतिरिक्त गोवंश जोड़ा जाता है, तो 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन दी जाएगी. साथ ही व्यवसायिक गतिविधियों के लिए 5 एकड़ अलग से उपलब्ध कराई जा सकती है.
इसमें भूमि के उपयोग का वितरण इस प्रकार किया जाएगा- 20 एकड़ भूमि गौशाला, अस्पताल और कर्मचारियों के लिए आवास के लिए होगी वहीं 2.5 एकड़ भूमि चरनोई के लिए और 102.5 एकड़ बायोगैस प्लांट और चारे हेतु घास उत्पादन के लिए रखी जाएगी.