Jabalpur News: नर्सिंग घोटाला मामले में हाई कोर्ट का आदेश, गड़बड़ी करने वाले नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन और रजिस्ट्रार को हटायें

Jabalpur News: हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि जब मामला कोर्ट की मॉनिटरिंग में और CBI जांच में है. इन परिस्थितियों में इस गड़बड़ी में लिप्त अधिकारियों को कैसे जिम्मेदारी दी जा सकती है
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MP हाई कोर्ट

Jabalpur News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में हाई कोर्ट (High Court) ने शुक्रवार यानी 11 दिसंबर को अहम आदेश दिए. घोटाले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि जिन अधिकारियों ने कॉलेज की जांच में गड़बड़ी की उन्हें ही महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिया गया है. लिहाजा हाई कोर्ट ने तत्कालीन डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रार को हटाने के निर्देश दे दिए हैं. हाई कोर्ट ने डीएमई (DME) डॉक्टर जितेंद्र शुक्ला और रजिस्ट्रार अनीता चांद को पद से हटाने के निर्देश दिए हैं. डीएमई (DME) और रजिस्ट्रार ने अपात्र नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी थी. मामला सामने आने के बावजूद भी इन दोनों को महत्वपूर्ण पदों पर फिर से पदस्थ कर दिया.

भोपाल के एक कॉलेज को अपात्र होने पर दी मान्यता

एडवोकेट विशाल बघेल की ओर से हाई कोर्ट में आवेदन पेश कर ये बताया गया था कि साल 2021-22 में भोपाल के आरकेएस कॉलेज को मान्यता दी गई. अपात्र होने के बावजूद भी सूटेबल रिपोर्ट दर्शाकर मान्यता दी गई. सहायता करने वाली तत्कालीन इंस्पेक्टर अनीता चांद को उनके द्वारा की गई गड़बड़ी करने पर कार्रवाई करने के बजाए नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार बना दिया गया है. शिकायत करने के बाद भी दो महीने में कोई एक्शन नहीं लिया गया है. हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा रजिस्ट्रार के मामले में याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायत की जांच के लिए उनके द्वारा जांच कमेटी का गठन किया गया है. लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार को अब कोई भी समय देने से इनकार कर दिया.

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हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को कार्रवाई के आदेश दिए

हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि जब मामला कोर्ट की मॉनिटरिंग में और CBI जांच में है. इन परिस्थितियों में इस गड़बड़ी में लिप्त अधिकारियों को कैसे जिम्मेदारी दी जा सकती है. उनसे किस प्रकार की सही कार्रवाई की अपेक्षा की जा सकती है. हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि उक्त दोनों अधिकारियों को तत्काल हटाया जाकर कोर्ट को अवगत कराया जाए. हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को भी इस मामले का संज्ञान लेकर कारवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं.

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