MP News: 2022 में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर भर्ती हुए 157 शिक्षकों पर लटकी बर्खास्तगी और FIR की तलवार, कलेक्टर ने कराई जांच तब हुआ खुलासा

MP News: 2022 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में विकलांग कोटे के तहत भर्ती होने के लिए मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी दिव्यंका मेडिकल सर्टिफिकेट प्रमाण पत्र लगाना आवश्यक था.
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प्रतीकात्मक चित्र

सचिन शर्मा-

MP News: भिंड से फर्जी शिक्षको की भर्ती का चौका देने वाले मामले का खुलासा हुआ है. प्रदेश में साल 2022 में शिक्षक चयन प्रक्रिया में भिंड जिला अस्पताल से जारी हुए फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेटों के आधार पर भर्ती हुए 157 शिक्षकों पर बर्खास्तगी ओर एफआईआर की तलवार लटक रही है.

विकलांग कोटे में मेडिकल सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य

दरअसल, 2022 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में विकलांग कोटे के तहत भर्ती होने के लिए मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी दिव्यंका मेडिकल सर्टिफिकेट प्रमाण पत्र लगाना आवश्यक था. भिंड मुरैना और ग्वालियर में ऐसे लोगों को दिव्यंका प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए जो वास्तव में विकलांग थे ही नहीं. ग्वालियर और मुरैना में इस फर्जी वाडे की जांच बीते साल पूरी हो चुकी है. वहां पर फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट के आधार पर भर्ती हुए शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके ऊपर कानूनी दंडात्मक कार्रवाई की गई है. लेकिन भिंड जिला अस्पताल से जारी 157 दिव्यांगता सर्टिफिकेटों की जांच पूरी नहीं हो सकी है. लगातार 2023 से जांच जारी है, 2024 में लोक शिक्षण संचालनालय ग्वालियर द्वारा भिंड कलेक्टर को 26 दिसंबर 2023 को पत्र भेज कर जांच रिपोर्ट मांगी गई. जिस पर तीन सदस्य कमेटी गठित कर कलेक्टर ने जांच कराई. जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ.

नियम के विरुद्ध जारी किए गए सर्टिफिकेट

तीन सदस्य कमेटी के आधार पर जांच के बाद कई चौका देने वाले खुलासे हुए. जांच में पाया गया कि शिक्षक चयन प्रक्रिया के लिए जारी किए गए. 157 दिव्यंगता सर्टिफिकेट मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी न करते हुए नियम में विरुद्ध तरीके से एकल डॉक्टर द्वारा जारी किए गए है. इसमें सबसे बड़ी खामी थी कि आंखों के विशेषज्ञ द्वारा पैर की टूटी हड्डी का विकलांग सर्टिफिकेट जारी किया गया. ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर ने आंखों का सर्टिफिकेट बना दिया हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ कान का सर्टिफिकेट बनाकर जारी किया. शिक्षण लोकसंचालनालय द्वारा लगातार पत्र लिखकर भिंड जिला अस्पताल द्वारा बीते एक साल से जांच रिपोर्ट मांगी जा रही थी, लेकिन जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा जांच में टालमटोल किया जाता रहा था. लेकिन लोक शिक्षण संचालक नली द्वारा 26 दिसंबर 2023 को भिंड कलेक्टर को भेजे गए. पत्र द्वारा जिला अस्पताल द्वारा जारी किए गए 157 फर्जी सर्टिफिकेटों का सत्यापन मांगा गया. जिसमें भिंड कलेक्टर द्वारा तीन सदस्य जांच दल द्वारा कराई गई.

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157 शिक्षकों में मचा हड़कंप

जांच में 157 फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट पाए जाने से फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं लोक शिक्षण संचालनालय के संयुक्त संचालक ग्वालियर चंबल संभाग का कहना है कि दिव्यांग कोटे से भर्ती हुए शिक्षकों को अब नियुक्त स्थान पर ही जिला अस्पताल पहुंचकर दिव्यांग बोर्ड द्वारा परीक्षण करवा कर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा. 40% से कम दिव्यांगता पये जाने पर बरख़ास्तगी और एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी. वहीं भिंड जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन आरके मिश्रा से इस दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी वाड़े पर जानकारी चाही तो उन्होंने कुछ ही दिन पहले सिविल सर्जन का पद भार ग्रहण करने का हवाले देते हुए मामले से पल्ला झाड़ने हुए अभिनग्यता जाहिर करते हुए गोलमोल जवाब देते रहे.

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