कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जीएसटी एईवी की टीम ने धोबिया टंकी से पीटीएस चौराहा मार्ग पर वरदान अस्पताल के पास स्थित पांच फर्मों पर छापा मारा. ये फर्में हरियाणा के व्यापारी मोहित और राजन द्वारा चलाई जा रही थीं, जिन्होंने तीन महीने पहले किरायानामा लेकर दुकानें ली थीं. लेकिन किरायानामा बनाने के बाद दोनों व्यापारी फिर कभी वापस नहीं आए और ऑनलाइन ही भुगतान करते रहे. मौके पर किसी भी फर्म का कोई कर्मचारी या स्टॉक नहीं मिला.
क्या पाया गया जांच में?
जीएसटी सतना एंटी इवेज़न विंग ने पांचों फर्मों पर एक साथ छापा मारा. इन फर्मों के नाम पर करोड़ों रुपए का ऑनलाइन लेन-देन हो रहा था. फर्जी तरीके से बनाई गई इन फर्मों का उपयोग बड़े स्तर पर टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लेने के लिए किया जा रहा था. फर्मों द्वारा सामान की सप्लाई और उसके भुगतान में धोखाधड़ी की जा रही थी.
अधिकारियों की कार्रवाई
जीएसटी एईवी की टीम में पांच सहायक आयुक्त शामिल थे, जिन्होंने अलग-अलग फर्मों की जांच की. मौके पर कोई स्टॉक या स्टोर नहीं मिला. हरियाणा के व्यापारियों से संपर्क किया गया, लेकिन कुछ समय बाद उनका मोबाइल बंद हो गया. अब इन फर्मों के खिलाफ जीएसटी नंबर निरस्त करने और ITC कैंसिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
फर्जी फर्में और उनका संचालन
ये पांचों फर्में हरियाणा के मोहित और राजन द्वारा बनाई गई थीं. इनमें चार फर्मों का सीजीएसटी और एक का एसजीएसटी में पंजीकरण हुआ था. तीन महीने के अंदर इन फर्मों ने करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया था. इसके जरिए ये व्यापारी बड़े स्तर पर टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे थे.
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ITC का फर्जीवाड़ा
ITC का मतलब इनपुट टैक्स क्रेडिट होता है, जिसमें व्यापारी को खरीदारी पर भरा गया टैक्स वापस मिल जाता है. इन फर्जी फर्मों के जरिए व्यापारी टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाकर सरकार को धोखा दे रहे थे. इस खेल का उद्देश्य केवल टैक्स बचाना था, जिसके तहत जीएसटी नंबर कैंसिल कराने के बाद ये रफूचक्कर हो जाते.
जीएसटी नंबर और ITC रद्द होंगे
अब जीएसटी एईवी विंग ने इन पांचों फर्मों के जीएसटी नंबर निरस्त करने और ITC कैंसिल करने के लिए सेंट्रल जीएसटी को पत्र लिखा है. यदि फर्म संचालकों ने टैक्स नहीं भरा, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उनकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है.
जिन फर्मों पर कार्रवाई की गई:
- न्यू ऐरा इंटरप्राइजेज
- बिग बुल इंटरप्राइजेज
- क्लोस्टाक सेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- नियो किंग इंटरनेशनल
- वेलकोज इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड
ये सभी फर्में केवल कागजों में ही सक्रिय थीं और वास्तविक रूप से कोई संचालन नहीं हो रहा था. तीन महीने के भीतर इन फर्मों ने करोड़ों रुपए का लेन-देन किया था, जिस पर शक होने के बाद जीएसटी एईवी की टीम ने यह कार्रवाई की.
टीम के सदस्य
जीएसटी एईवी सतना की टीम में राजीव गोयल, नवीन दुबे, दिलीप सिंह, अभिनव त्रिपाठी, विवेक दुबे, संजीव त्रिपाठी, हरिहर तिवारी, उमेश त्रिपाठी जैसे अधिकारी शामिल थे. सभी सहायक आयुक्तों को अलग-अलग फर्मों की जांच के लिए नियुक्त किया गया था. इस कार्रवाई के बाद, अब आगे की जांच जारी है और इन फर्मों के संचालकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.