Damoh का जिला अस्पताल सवालों के घेरे में, सिस्टम ने ले ली 5 प्रसूता महिलाओं की जान, जानिए पूरा मामला

Damoh News: ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब दमोह जिला अस्पताल प्रबंधन सवालो के घेरे में आई हो बल्कि पहले भी लोगों जिला अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और अव्यवस्थाओ के आरोप लगाते रहे हैं.
Damod District Hospital is continuously surrounded by questions.

दमोद जिला अस्पताल लगातार सवालों के घेरे में बना रहा है.

Damoh News: मध्यप्रदेश की दमोह जिला अस्पताल अक्सर अपनी अनियमितता और अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चाओ में बनी रहती है.लेकिन इस बार तो जिला अस्पताल प्रबंधन ने हद ही पार कर दी. जब लापरवाही से एक एक कर 5 प्रसूता महिलाओं ने अपनी सांसे तोड़ दी. ये खबर न सिर्फ सबको चौंका रही है,बल्कि जिला अस्पताल इलाज कराने पहुच रहे लोगों के दिलो में खौफ भी पैदा कर रही है.

एक ही दिन हुई 5 प्रसूताओं की डिलीवरी

दरसअल, इस जिला अस्पताल में डिलीवरी करवाने के लिए पहुचीं महिलाओं ने करीब 20 दिनों के समयांतराल मे ही एक एक कर 5 ग्रामीण महिलाओ ने ऑपरेशन से बच्चों को जन्म दिया और फिर उनकी मौत का सिलसिला इसी अस्पताल से शुरू हो गया.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब दमोह जिला अस्पताल प्रबंधन सवालो के घेरे में आई हो बल्कि पहले भी लोगों जिला अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और अव्यवस्थाओ के आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने आरोपों की जांच करने की बजाये अपनी जिम्मेदारी से ही पडला झाड़ लिया.

परिजन कर रहे कार्रवाई की मांग

जानकारी के मुताबिक मरने वाली सभी प्रसूता महिलाओं का एक ही दिन ऑपरेशन किया गया था, जिसके बाद से ही महिलाओं की हालत बिगड़ती चली गई और करीब 20 दिनों में पांचों की पांच महिलाओं ने अपना दम तोड़ दिया. सिस्टम की लापरवाही की वजह से न केवल पांच नवजात शिशुओं के सिर से मां का आंचल छीना बल्कि उनके मुंह लगा दूध भी छीन गया. वहीं इस पूरे मामले को परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से कार्रवाई की मांग की है.

वहीं जब इस मामले पर दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर से बात की तो उन्होंने इस घटना को बहुत ही दुर्भाग्य जनक और दुःखद बताया लगातार समय समय पर मीटिंग लेने के बाद,चेतावनी देने के बाद भी इस तरह की अप्रिय घटना घटित होना बहुत ही निंदा जनक है.जब पहली या दूसरी महिला की मृत्यु हुई थी उसी समय जॉइंट डायरेक्टर सागर को कहा था कि आप तत्काल दमोह पंहुचे और जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लें और अंततः उन्होंने इस घटना को बड़ी लापरवाही मानते हुए जल्द से जल्द जांच का आश्वासन दिया है.

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एक ही दिन हुआ 5 प्रसूता महिलाओं का ऑपरेशन

दरअसल, 4 जुलाई को दमोह जिला अस्पताल के एमसीएच वार्ड में 20 महिलाओं ने नवजात शिशुओं को जन्म दिया और तत्काल इन सभी का सिजेरियन ऑपरेशन कर दिया गया. ऑपरेशन से बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की शिकायत एक जैसी थी और ये शिकायतें थीं पेशाब रुकना और संक्रमण. इसके बाद करीब 20 दिनों में ही एक-एक करके 5 महिलाओं की सांसे थम गई.महिलाओं की मौत के बाद मानो जिले में हड़कंप मचा हुआ है,पहली दुःखद खबर बकायन गांव के चौरसिया परिवार के यहां से निकलकर सामने आई जहां लक्ष्मी चौरसिया जोकि जबलपुर हाईकोर्ट में पदस्थ थीं. उन्हें नॉर्मल डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन रात तक उन्हें सिजेरियन कराने को कहा गया. ऑपरेशन हुआ, बच्चा स्वस्थ था लेकिन पांच घंटे बाद उसे दर्द हुआ और उनकी मौत हो गई.इस दर्द की शिकायत सिर्फ लक्ष्मी अकेले की नहीं थी, बल्कि चार अन्य प्रसूता महिलाओं की भी थी.

दूसरी दुःखद खबर हिंडोरिया ब्लॉक की रहने वाली निशा परवीन को पहला बच्चा होने वाला था. जब कहा गया कि ऑपरेशन होगा तो परिवार को थोड़ा दुख हुआ लेकिन नवजात शिशु की किलकारी सुनते ही दुःखद परिवार के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और कुछ ही घण्टों बाद निशा की हालत बिगड़ने लगी. उन्हें पेशाब रुकने की भी समस्या थी. बताया गया कि उनकी किडनी फेल हो गई है. जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. वहां निशा का डायलिसिस होता रहा और 18 दिन बाद निशा परवीन की भी मौत हो गई.

तीसरी दुःखद खबर हटा से सामने आई जहां हुमा खान ने सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे को तो जन्म दिया और बच्चा स्वस्थ भी पैदा हुआ. लेकिन हुमा को अन्य महिलाओं की तरह संक्रमण और पेशाब में समस्या थी. उन्हें भी किडनी फेल होने की जानकारी दी गई.

जबकि चौथी दुःखद खबर 4 जुलाई को पटेरा नया गांव से सामने आई जहां हर्षना कोरी ने सिजेरियन ऑपरेशन से अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था, फिर हर्षना की तबीयत बिगड़ी जिसे जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया और कुछ ही घण्टो बाद उक्त महिला ने भी अपनी जिंदगी से हार मानकर 5 तारीख की सुबह अपनी सांसे तोड़ दी. इसके अलावा जबलपुर में इलाज के दौरान एक और महिला की मौत की खबर सामने आई है.

सूत्रों की माने तो जिला अस्पताल में पदस्थ बोर्ड बॉय के द्वारा पांचों महिलाओं को एनेस्थीसिया जैसा ड्रग्स दिए जाने की बातें लगातार सामने आया रही हैं.जिसको लेकर भी दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा कि जो प्रथम जांच हुई हैं, वो मेडम ने की है.वो जांच रिपोर्ट मेरे सामने नहीं आई है. लेकिन prima facie जो आधार मिले हैं,वो पर्याप्त है कि इस मामले में लापरवाही हुई है.जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जायेगी.

इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट DM सुधीर कोचर के सामने आने के बाद ही मामले का खुलासा हो पायेगा.देखने लायक होगा कि ये जांच रिपोर्ट आखिर कब तक सामने आती है. सिस्टम के इन हैवानों ने अपनी लापरवाही से इन पांच नवजात शिशुओं के मुंह से लगा दूध छीन लिया.फिलहाल इस सिस्टम ने पांच नवजात शिशुओं से उनकी मां की ममता का आंचल तो छीन ही लिया है.

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