MP News: Gwalior में बीच सड़क पर क्यों विराजमान है भगवान अचलेश्वर महादेव, जानिए पूरी कहानी
MP News: ग्वालियर के अचलेश्वर महादेव देश भर में प्रसिद्ध है. यह मंदिर 750 साल से ग्वालियर बीच चौराहे पर आज भी विराजमान हैं भगवान भोलेनाथ का चमत्कारी शिवलिंग जिन्हें लोग बाबा अचलेश्वर महादेव के नाम से पुकारते हैं.
मिलता है इच्छापूर्ति का वरदान
अचलेश्वर महादेव के प्रति लोगों की काफी गहरी श्रद्धा है. सावन के पहले सोमवार पर लोग सुबह से ही भगवान अचलेश्वर के दर्शन करने के लिए आते रहे हैं साथ ही भगवान अचलेश्वर महादेव पर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी दर्शन करने के लिए आती है. पूरे उत्तर भारत में मान्यता है कि भगवान अचलनाथ के दरबार में जो भी मत्था टेकनें पहुंचता है अचलनाथ उसको इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं. मान्यता है कि बाबा अचलनाथ का वरदान भी उनकी प्रतिमा की तरह चल रहता है. यानी भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.
सिंधिया परिवार भी शिवलिंग को हटा नहीं पाया
अचलेश्वर महादेव के पुजारी ने बताया कि लगभग 750 साल पहले जिस स्थान पर आज मंदिर है वहां एक पीपल का पेड़ हुआ करता था यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण लोगों की आवागमन में परेशानी उत्पन्न होती थी. सबसे ज्यादा परेशानी सिंधिया परिवार को उस समय उठानी पड़ती थी जब उन्हें विजयदशमी के अवसर पर सिंधिया परिवार की शाही सवारी निकलती थी और यह मार्ग रास्ते में आता था. उस पेड़ को हटाने के लिए शासको ने आदेश दिए, पेड़ हटते ही वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गई. उनको हटाने के लिए काफी मेहनत की पर वहां से नहीं हटी. इस शिवलिंग की अगल-बगल काफी गहरी खुदाई की गई,लेकिन कोई भी व्यक्ति शिवलिंग को नहीं हिला सका. बाद में सिंधिया परिवार ने शिवलिंग को हटाने के लिए हाथी भी भेजे, हाथी में जंजीर बांधकर जब पिंडी खींची हुई तो जंजीर टूट गई. उसके बाद भगवान ने तत्कालीन राजा को सपने में कहा कि अगर मूर्ति खंडित हो गई तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।इसके बाद राजा ने पूजा अर्चना कराई और पिंडी की प्रतिष्ठा कराई थी.
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दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते लाखों श्रद्धालु
अचलेश्वर महादेव मंदिर पर सावन के पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं सावन के पर्व पर यहां सुरक्षा व्यवस्था की भी पूरे इंतजाम होते हैं. पुलिस के साथ-साथ सीसीटीवी से भी यहां निगरानी की जाती है. वहीं आज सोमवार को शहर के हजारों श्रद्धालु भगवान का अचलेश्वर के यहां आते हैं.