MP News: बाढ़ की आशंका वाले घरों को हटाने में प्रशासन नाकाम, रीवा शहर पर बाढ़ का खतरा
MP News: पिछले 26 सालों में दो बार बाढ़ झेल चुका रीवा शहर अभी भी बाढ़ से निपटने के लिए तैयार नहीं है. बीते 5 वर्षों में जिला प्रशासन व निगम की संयुक्त नापजोख में बीहर-बिछिया के किनारे 211 मकान कैचमेंट एरिया में थे, जिन्हें हटाकर पुनर्वास कराना था, लेकिन आज तक कुछ नहीं किया गया. ये शहर की बाढ़ के कारण भी हैं. बारिश आने पर नदी-नालों के अतिक्रमण की प्रशासन और निगम को याद आई है, लेकिन लगातार फेल साबित हो रहे हैं. बाढ़ के बाद 2017 में अधिकांश नालों के कैचमेंट एरिया का सीमांकन भी किया था और रेड व ग्रीन जोन भी बनाए गए थे, लेकिन वह सभी मिट चुके हैं. 6 साल में रेड जोन एरिया में निगम की स्वीकृति के बाद पहले से अधिक मकान भी बन गए. 1997 की बाढ़ में तत्कालीन कांग्रेस की दिग्विजय सरकार व 2016 की बाढ़ में भाजपा की शिवराज सरकार व प्रशासन ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया. केवल सपने दिखाए, किया कुछ नहीं. लिहाजा बाढ़ प्रभावित मोहल्लेवासी बरसात के समय हर रात दहशत में गुजारते हैं 2016 में आई बाढ़ और करोड़ों के जानमाल की नुकसान जल संसाधन के रिटायर वरिष्ठ इंजीनियरों द्वारा कई दिनों तक सर्वे किया गया. शासन को रिपोर्ट भी भेजी गई लेकिन अमल में कुछ आ नहीं सका. इससे बड़ी बात क्या होगी कि नगर निगम के रीवा के मोहल्ले बाढ़ में डूबते हैं. अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई भी निगम को करनी है, लेकिन उसके पास कोई फाइल ही नहीं है कि किस नाले का कैचमेंट एरिया कितना है और अतिक्रमण कहां-कहां है? बाढ़ आपदा को लेकर बैठकें हो चुकी हैं. कलेक्टर व निगम कमिश्नर मैदानी दौरा भी करने का दावा कर रहे है, लेकिन यह पता नहीं कि किसी नाले का कितना भाग रेड जोन में है और कितना ग्रीन जोन में है.
यहां चिन्हित किए थे 211 मकान
अप्रैल 2016 में बाढ़ के पूर्व एनजीटी द्वारा कलेक्टर रीवा व कमिश्रर नगर निगम को बीहर-बिछिया सहित शहर बाढ़ कारक प्रमुख नालों के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं टूटी. जब अगस्त 2016 में शहर को भीषण चपेट का सामना करना पड़ा तो एनजीटी के आदेश के परिप्रेक्ष्य में फरवरी 2017 में घिरमा नाला की सफाई व अतिक्रमण हटाने के बाद अमहिया नाले के कैचमेंट एरिया की सफाई की गई. बीहर-बिठिया के दोनों तटों की नाप कर रेड व ग्रीन जोन के चिह्न भी बनाए गए, लेकिन उसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
निगम व जिला प्रशासन की संयुक्त नापजोख में बीहर-बिठिया के किनारे 211 मकान कैचमेंट एरिया में थे, जिन्हें हटाना था. लेकिन कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए. इनमें पूर्व तरफ बाबा घाट से राजघाट 63, बस्ती तरफ 69 और पश्चिमी तट निपनिया की तरफ 79 कुल 211 मकान चिन्हित किए गए थे. नदी के दोनों तरफ 20 मीटर तक रेड जोन और 30 मीटर ग्रीन बेल्ट एरिया खाली कराना था. अमहिया नाले में दोनों तरफ 10-10 मीटर व छोटे नालों में 5 मीटर कैचमेंट एरिया को खाली कराना था ताकि शहर में आवक के अनुसार पानी का प्रवाह बने और ठहराव के कारण बाढ़ की स्थिति निर्मित न हो.
एक्सपर्ट टीम ने यह दी थी रिपोर्ट एक्सपर्ट टीम ने
वर्ष 2016 में शहर में बाढ़ के कारणों की 600 पेज की रिपोर्ट भेज कर तत्काल कार्ययोजना बनाने की सलाह दी थी. टीम प्रमुख जल संसाधन विभाग के रिटायर मुख्य अभियंता एसबी सिंह ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि रीवा शहर में बाढ़ का कारण प्राकृतिक नहीं अपितु मानव जनित व्यवधान हैं. बताया था कि बीहर नदी पर चोरहटा रतहरा मार्ग पर निर्मित एवं विक्रम पुल सहित अन्य प्रमुख निर्माण कार्य बाढ़ को नजरंदाज करके बनाए गए हैं. खासतौर से बाईपास में किटवारिया में बना बीहर पुल शहर में बाढ़ का प्रमुख कारण है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि इन नदियों में अधिकतम प्रवाह अनुमान क्रमशः 3737, 3422, 3415 एवं 1466 घनमीटर है. नदियों में पानी तो अधिक मात्रा में आता है, लेकिन पुलों का आकार सही नहीं होने के चलते उस गति से प्रवाह नहीं हो पाता. साथ ही बीहर बराज से पानी छोड़ने की प्रक्रिया को भी जिम्मेदार ठहराया था. टीम ने शहर को बाढ़ से बचाने के सुझाव भी दिए थे जिनमें शहर के इंटरनल ड्रेनेज सिस्टम को स्थानीय मोहल्लों में स्टार्म वाटर ड्रेन की क्षमता लेवल तथा निकासी बनाना, बिछिया और बीहर के कैचमेंट एरिया में वनीकरण अनिवार्य रूप से किया जाए. यहां पर खरीफ में पानी का संग्रहण करने और रबी में खेती करने की पुरानी परंपरा को अपनाना, शहर के नालों के ग्रीन बेल्ट का अतिक्रमण हटवाकर 298 मीटर तक पौधे रोपे जाएं.