MP News: रीवा के 800 बेसहारा बच्चों को मिलेगा सहारा, केंद्र की वात्सल्य योजना के तहत की जाएगी देखभाल
MP News: समाज में कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जो मुश्किल हालातों में पल रहे हैं. कुछ अनाथ हैं तो कुछ ऐसे हैं जिनके पास परिवार या रिश्तेदार का सहारा नहीं है. रीवा जिले में ऐसे बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है जो बेसहारा हैं. जिनको मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है
रीवा जिले में 811 बच्चे बेसहारा- सर्वे रिपोर्ट
रीवा जिले में बेसहारा और अनाथ बच्चों का एक सर्वे किया गया. सर्वे के अनुसार जिले में 811 ऐसे बच्चे चिन्हित किए गए जो या तो अनाथ हैं या जिन्हें परिवार और रिश्तेदार की देखभाल नहीं मिल रही. अनाथ बच्चों का यह आंकड़ा संभाग में सबसे ज्यादा है. जिन बच्चों को चिन्हित किया है उनकी गोपनीयता के साथ देखभाल की तैयारी में प्रशासन जुटा हुआ है.
वात्सल्य योजना के तहत बच्चों की होगी देखभाल
इन बच्चों की देखभाल वात्सल्य योजना के तहत की जाएगी. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार दोनों सहभागी है. इसमें केंद्र की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. इसमें हर महीने मदद के तौर पर 4 हजार रुपये दिए जाएंगे. इन सभी का विवरण केंद्र सरकार के पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा. सर्वे में रीवा और मऊगंज जिले के साढ़े तीन हजार से अधिक कर्मचारियों की मदद से जीरो वर्ष से 18 साल तक के बच्चों को चिन्हित किया गया है.
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इस योजना के तहत जिन बच्चों की देखभाल की जाएगी उनके लिए मानदंड बनाए गए हैं:
1. बच्चे की मां विधवा, तलाकशुदा या परिवार द्वारा त्यागी गई हो .
2. बच्चे अनाथ हो और विस्तारित परिवार के साथ रह रहा हो.
3. माता-पिता जीवन में गंभीर बीमारी के शिकार हों.
4. माता-पिता अक्षम हों या बच्चों की देखभाल करने में आर्थिक और शारीरिक रूप से असमर्थ हों.
5. जेजे एक्ट 2015 के अनुसार देखभाल और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों जैसे बेघर ,किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार ,बाल श्रम, बाल विवाह के शिकार हों.
6. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत शामिल हों.
7. जिनकी परिवारिक आय ग्रामीण क्षेत्र के लिए 72 हजार रुपये और अन्य के लिए 96 हजार रुपये वार्षिक से अधिक नहीं हो.
8. कुछ बच्चे जो बाल गृह में रह रहे हैं. उनके जीवन का भरण-पोषण किया जा रहा है. दूर-दूर से बच्चों को लाया जाता है. जिनको प्रशासन की निर्देश के बाद इन बाल गृह में रखा जाता है.
हमारा उद्देश्य मासूमों को सहारा देना- कलेक्टर
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि मिशन वात्सल्य की पूर्व की शर्तें ऐसी थीं कि कम संख्या में ही बच्चे योजना का लाभ ले पाते थे. अब हितग्राहियों का चयन करने के लिए कई नए बिंदु भी जोड़ दिए गए हैं. इसकी वजह से अन्य जरूरतमंद बच्चों की योजना में शामिल हो सकते हैं. पहले चरण में जिले के 40 बच्चे ही इसके लिए चिन्हित थे लेकिन नए प्रारूप में अब 800 से अधिक संख्या में हितग्राही को लाभ देने की तैयारी है. अभी आगे 900 बच्चों को चिन्हित किया जाना है जिनका रजिस्ट्रेशन होना है. उद्देश्य यही है की बेसहारा मासूमों को सहारा दिया जा सके.