MP News: लोगों की सुविधा के लिए बना ऐप बढ़ा रहा लोगों की मुश्किलें, अस्पतालों से बिना इलाज के लौट रहे मरीज
MP News: रीवा जिले में लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई एक व्यवस्था लोगों की मुश्किलों का कारण बन रही है, दरअसल, रीवा में संजय गांधी अस्पताल पर ओपीडी में ऑनलाइन पर्ची की व्यवस्था की गई है जिसमें एक ऐप के द्वारा लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है जिसके बाद वह इलाज करा पाते हैं, लेकिन यह व्यवस्था लोगों के जी का जंजाल बन गई है जिसके कारण दूर से आए लोग को कई बार बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ता है.
रीवा जिले के सरकारी अस्पताल में जिसमें मुख्यतः संजय गांधी अस्पताल में तकरीबन एक माह पूर्व शुरू की गई नई व्यवस्था मरीजों की परेशानी का कारण बन रही है। स्थिति यह है कि कई मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ रहा दरअसल अस्पताल में आने वाले मरीजों को ओपीडी पर्ची काटने के लिए अब एक ऐप डाउनलोड करना पड़ता है अस्पताल में आने वाले कई मरीज और उनके परिजन ऐसे भी होते हैं जिनके पास एंड्रॉयड फोन होता ही नहीं है, वह कीपैड फोन से काम चलाते हैं जिसके कारण वह ऐप डाउनलोड करने में असमर्थ होते हैं जिससे उन्हें कई बार बिना इलाज के ही अस्पताल में जाना पड़ता है यहां इलाज न मिलने के कारण मरीज प्राइवेट नर्सिंग होम या चिकित्सकों के पास जाते हैं जिसमें उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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अस्पताल में आने वाले मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते हैं ऐसे में मरीजों के परिजनों को कहा जाता है कि वह ऐप डाउनलोड करें उसके बाद पर्ची कटेगी अब परिजन ऐप डाउनलोड करें या मरीज का इलाज कराए यह उनके पास असमंजस्य की स्थिति बन जाती है इस दौरान परिजन काफी परेशान भी होते हैं अस्पताल के स्टाफ द्वारा परिजनों की ओपीडी पर्ची काटने के बजाय एप के बारे में जानकारी दी जाती है, इस स्थिति में मरीज और उनके परिजनों की क्या मनोस्थित होती होगी यह आप यहां पर दिखने वाले लोगों से अंदाजा लगा सकते हैं।
हालांकि इसके लिए अस्पताल प्रबंधन के द्वारा नर्सिंग स्टाफ को बैठाया गया है की लोगों की व्यवस्था बनाई जाए लेकिन भारी भीड़ में चंद लोगों के द्वारा व्यवस्था बना पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. और यह नर्सिंग स्टाफ भी कुछ समय में गायब हो जाता है जिसके कारण लोग सुबह से दोपहर तक भटकते रहते हैं.
ओपीडी में पर्ची काटने में ऐप डाउनलोड करने के बाद भी एक व्यक्ति को कम से कम 3 से 4 मिनट का समय लगता है ऐसे में वह मरीज और परिजनों को ओपीडी पर्ची काटने के लिए कितना इंतजार करना पड़ता होगा. अस्पताल की ओपीडी स्टाफ द्वारा मरीज के परिजनों को ऐप डाउनलोड करने के बारे में कहा जाता है जब परिजन इस बारे में किसी प्रकार की तकनीकी जानकारी न होने की बात कहते हैं तो कर्मचारियों के द्वारा किसी प्रकार की जानकारी परिजनों को नहीं दी जाती परिजन ऐप डाउनलोड करने या आदि के बारे में जानकारी जुटाना में परेशान होते हैं।
पर्ची काटने की ऐसी होती है प्रकिया
- परिजनों को पास एंड्रॉयड फोन होने के बाद ऐप डाउनलोड के लिए कहा जाता है जिसमें आभा एप और ड्रिप केश ऐप होता है।
- इसके बाद मोबाइल नंबर से ऐप में लॉगिन करना होता है
- इसके बाद अपनी आईडी आभा आप में जनरेट करने के बाद कर स्कैन करना पड़ता है जो अस्पताल में बड़े पोस्टर के तौर पर लगे होते है
- इसके बाद पेशेंट को टोकन नंबर मिलने का ऑप्शन मिलता है
- टोकन नंबर मिलने के बाद ओपीडी में लगी लाइन में शामिल होकर अपने नंबर का इंतजार करते हुए ओपीडी से पर्ची प्राप्त होती है।
- आप समझ सकते हैं कि इलाज कराने आए व्यक्ति को इतनी प्रक्रिया कर पाना कितना मुश्किल होता होगा और इतनी प्रक्रिया के बाद भी कई बार उन्हें ओपीडी पर्ची नहीं मिल पाती इसके लिए भी कई दिक्कतें आ जाती है.
- इंटरनेट कनेक्शन न होने पर भी होती है परेशानी
- ओटीपी आने में लग जाता है समय कई बार सर्वर के कारण भी होती है दिक्कत
- किसी व्यक्ति के द्वारा ऐप में एक बार लॉगिन करने के बाद आभा एप में दूसरे व्यक्ति का इलाज नहीं कराया जा सकता उसके लिए दूसरा नंबर होना जरूरी होगा
इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करने में रीवा का संजय गांधी अस्पताल पूरे देश में दूसरे नंबर पर है लेकिन फिर भी ग्राउंड जीरो पर जब बिस्तर न्यूज़ ने देखा कि लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि इस योजना से यह पता चलता है की अस्पताल में कितना लोड है और कौन सी व्यवस्थाएं और भी दुरुस्त करने की जरूरत है हालांकि बिना एंड्राइड मोबाइल वालों के लिए भी दो लाइन बना कर व्यवस्था बनाई गई है लेकिन फिर भी लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है
भास्कर रेड्डी ऐपके नोडल अधिकारी का कहना है कि इस ऐप के संचालन से लोगों को सुविधा होती है क्योंकि आभा एप में आईडी लॉगिन हो जाने के बाद यह पता चल जाता है कि पिछले समय व्यक्ति को कौन सी बीमारी रही और इसके लिए बार-बार लॉगिन नहीं करना पड़ता, लेकिन फिर भी लोगों की मुश्किलें इस ऐप के कारण बढ़ रही है समय ज्यादा लग रहा है जिसको जल्द ही सुधार किया जाएगा और एक नई व्यवस्था ऐसी लागू की जाएगी जिसमें तीन से चार मिनट के अंदर ओपीडी की पर्ची लोगों को मिल पाएगी