MP News: मध्य प्रदेश सरकार का अटका ऑडिट, एजी ने फाइनेंस से कहा- कंप्लीशन सर्टिफिकेट और फंड डायवर्जन की रिपोर्ट देने में देरी करते हैं विभाग

Madhya Pradesh Local Fund Audit: एजी के पत्र लिखने के बाद फाइनेंस विभाग हरकत में आ गया. सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए समय पर जानकारी देने के लिए कहा गया है.
After writing the AG's letter, the finance department came into action

एजी के पत्र लिखने के बाद फाइनेंस विभाग हरकत में आ गया.

Bhopal News: मध्य प्रदेश में सरकारी सिस्टम के रवैया की पोल अकाउंटेंट जनरल ने एक पत्र के जरिए खुलासा करते हुए बताया है. फाइनेंस डिपार्टमेंट को लिखे एजी के पत्र में कहा गया है कि सरकारी विभाग कंप्लीशन सर्टिफिकेट और फंड डायवर्सन की रिपोर्ट देने में अनावश्यक देरी करते हैं. जिसकी वजह से सरकार के ऑडिट में दिक्कत आ रही है.

ग्वालियर अकाउंटेंट जनरल ने पत्र लिखते हुए कहा है कि कई बार जानकारी बुलाने पर भी सही जानकारी नहीं दी जाती है. जिसकी वजह से ऑडिट समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है. एजी के पत्र लिखने के बाद फाइनेंस विभाग हरकत में आ गया. सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए समय पर जानकारी देने के लिए कहा गया है. वित्त विभाग ने सरेंडर एप्रोप्रिएशन कसेंशन के तहत निकले गए ऑर्डर की जानकारी साल 2023-24 की जानकारी को देने के लिए सभी बजट नियंत्रक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही हवाला दिया है कि कार्यालय प्रधान महालेखाकार ने कहा है कि सरकार के अधिकांश विभागों की तरफ से जानकारी अप्राप्त है. जिसके कारण वित्तीय वर्ष 2023-24 के विनियोग को अंतिम रूप दिए जाने में अनावश्यक देरी हो रही है. यह भी कहा है कि 3 मई को भी एडिशनल चीफ सेक्रेट्री फाइनेंस को प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल की तरफ से पत्र लिखा गया फिर भी अधिकांश विभागों ने जानकारी नहीं भेजी है.

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पहले भी आईएएस सिंथिया ने अफसरों की लापरवाही का किया था खुलासा

साल 2022 जुलाई में पत्र लिखते हुए यह कहा गया था कि विभागों की तरफ से वित्तीय वर्ष के दौरान अनुदानों और फंड के समर्पण के संबंधी जानकारी देने में विभाग कतराते हैं. तत्कालीन अपर सचिव वित्त विभाग आईरीन सिंथिया जेपी ने कहा की अनुमानित बजट को 15 फरवरी तक समर्पण किया जाना चाहिए, जबकि यह पाया गया कि विभाग के द्वारा समर्पित की गई राशि को वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन समर्पित किया जाता है. साथ ही समर्पित की गई राशि किन कारणों से समर्पित की गई है. उसका उल्लेख स्वीकृत आदेशों में नहीं होता है.

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