MP News: चित्रकूट में भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था, विद्यालय भवन नहीं होने से पीपल के पेड़ नीचे पढ़ाई को मजबूर हैं छात्र
अरुणेश सिंह बीरू-
MP News: सतना जिले के चित्रकूट अनुभाग में ही वर्तमान समय में 28 विद्यालय भवन विहीन है. जिनमे सरकार द्वारा विद्यालय तो स्वीकृत है शिक्षक भी पदस्थ है और कक्षाएं भी संचालित की जा रही है,साथ ही पढ़ने वाले बच्चो की संख्या भी ठीक- ठाक है. लेकिन भगवान भरोसे है ऐसा इसलिए क्योकि भवन न होने के चलते दो विद्यालय ऐसे है, जिनमे से एक विद्यालय पीपल के पेड़ के नीचे स्थित हनुमान मंदिर के चबूतरे पर संचालित है, तो वहीं दूसरा विद्यालय भगवान के मंदिर के बगल से स्थित पेड़ो के नीचे लगाकर बच्चो को शिक्षा दी जा रही है. ऐसी परिस्थिति में खुद समझा जा सकता है कि कड़ी धूप, बरसात और भीषण ठंड के मौसम में इन मासूमो पर क्या गुजरती होगी. अगर यह कहा जाए कि इसका अंदाजा लगाना ही कठिन है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. दुर्भाग्य से भवन न होने के चलते मासूम बच्चो एवं शिक्षको के जीवन पर भी संकट मंडराता रहता है वावजूद इसके मासूमो की शिक्षा विना विद्यालय भवन के वर्षों से अनवरत जारी है.
प्राथमिक विद्यालय छईंहन और पतवनिया में कक्षा तीन और चार मे पढ़ने वाले मासूम बच्चों उमेश पटेल और प्रशांत पटेल से पूछने पर उनके द्वारा बताया गया कि विद्यालय भवन न होने के चलते वो पेड़ के नीचे और मंदिर के चबूतरे पर बैठकर पढ़ते हैं. बच्चों द्वारा बताया कि शिक्षक पढ़ाते हैं, लेकिन जब बरसात होती है,तब मजबूरन शिक्षक बच्चों की छुट्टी कर देते हैं.
2011 से लगातार पेड़ नीचे लग रही पाठशाला
छईहन विद्यालय में निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक शिव शरण मिश्र द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि वो विद्यालय में साल 2013 से पदस्थ हैं. उन्होंने बताया कि विद्यालय की शुरुआत एक एनजीओ के द्वारा शिक्षा गारंटी योजना के तहत की गई थी. साल 2011 में सरकारी मान्यता मिलने के बाद से विद्यालय लगातार पीपल के पेड़ के नीचे संचालित होता चला आ रहा है. छईहन प्राथमिक विद्यालय में वर्तमान समय में 24 छोटे छोटे मासूम बच्चे अध्ययनरत हैं. इन मासूम बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक शिव शरण मिश्र अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताते हैं कि बीते वर्षों में कई बार शासन को भवन न होने की जानकारी दी जा चुकी है. पता नहीं,शासन की क्या मजबूरी है,या फिर सरकार के पास वित्त की समस्या है. जिसके चलते आज तक विद्यालय भवन विहीन है.
बच्चों को सर्दी, गर्मी और ठंड से बचाना चुनौतीपूर्ण
छईहन प्राथमिक विद्यालय की तरह ही प्राथमिक विद्यालय पतवनिया का भी बुरा हाल है. जहां वर्तमान समय में 21 बच्चे अध्ययनरत हैं. यहां के बच्चे भी हनुमान जी के मंदिर के बगल से लगे पीपल के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. विद्यालय में पदस्थ शिक्षक महेंद्र सिंह सेंगर और रामू प्रसाद पटेल द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि यहां पर साल 2013 से विद्यालय लगातार संचालित है. इसी तरह मासूम बच्चे सर्दी,गर्मी और बरसात में पढ़ने को मजबूर हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों को तमाम तरह की मुश्किलों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शिक्षा देने से पहले बच्चों को सर्दी, गर्मी और बरसात से बचाना प्राथमिकता होती है.
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वर्तमान समय में कुल 28 विद्यालय भवन विहीन
चित्रकूट अनुभाग के सम्पूर्ण मझगंवा ब्लॉक में भवन विहीन विद्यालयों की जानकारी सहित पढ़ने वाले मासूम बच्चों को होने वाली परेशानियों के संबंध में जब बीआरसीसी जगतेंद्रमणि त्रिपाठी से बातचीत की गई,तब उनके द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि पूरे ब्लॉक में वर्तमान समय में कुल 28 विद्यालय भवन विहीन हैं. जिनमे से दो विद्यालयों के भवन जर्जर हो चुके हैं. कई जगहों पर भवन न होने से अन्य सरकारी भवनों जैसे सामुदाइक भवनों में विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. साथ ही लगातार शासन से विद्यालयों में भवन निर्माण करवाए जाने की मांग की जा रही है.
अधिकारियों का कहना- भवन निर्माण करवाए जाने के प्रयास जारी
भवन विहीन विद्यालयों में भवन निर्माण करवाए जाने बावत जिला पंचायत सदस्य और जिला शिक्षा समिति के सदस्य संजय सिंह कछवाह से पूछे जाने पर उनके द्वारा बताया गया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के द्वारा तमाम जगहों पर विद्यालय खोल दिए गए थे. लेकिन कई कारणों के चलते विद्यालयों के भवन निर्माण नहीं हो पाए।अब सरकार द्वारा भवन निर्माण करवाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं,साथ ही जिन विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम है,उन्हें दूसरे विद्यालयों में मर्ज किया जा रहा.
दरअसल, कुल मिलाकर देखा जाए तो नेताओं और अफसरों के पास विद्यालयों में भवन न होने के अपने अपने तर्क हैं. जिसके चलते नौनिहाल सर्दी, गर्मी और बरसात में पेड़ों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. ऐसी परिस्थितियों में जब पढ़ेगा इंडिया,तब फिर आगे ऐसे बढ़ेगा इंडिया. सोचनीय विषय बस केवल यही है.